लखनऊ से राजेन्द्र कुमार
सूबे के राज्यपाल रामनाईक अब एक-एक कर यूपी की खामियों को अपने स्तर से सुलझाने में जुट गए है. जिसके तहत पहले तो उन्होंने बिजली की कमी को लेकर केंद्र और अखिलेश सरकार के बीच टकराव टलवाने में अहम भूमिका निभायी. फिर उन्होंने सूबे के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खान के दबाव में अखिलेश सरकार द्वारा भेजे गए अल्पसंख्यक कल्याण आयोग संशोधन बिल पर मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांग लिया.
इसके बाद उन्होंने लोकायुक्त की रिपोर्ट पर चार पूर्व मंत्रियों सहित कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ना किए जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी और अब उन्होंने यूपी में उच्च शिक्षा की बदहाली पर चिंता जता दी है. वास्तव में यूपी में उच्च शिक्षा की बदहाली राज्यपाल को खटक गयी है. राज्यपाल का मत है कि यूपी की उच्च शिक्षा को इलाज की जरूरत है और सूबे की सरकार इस मामले में सुस्त रही है. इसलिए अब वह खुद यूपी की बदहाल उच्च शिक्षा को सुधारने में जुटेंगे.
यूपी की उच्च शिक्षा की हालत को लेकर राज्यपाल राम नाईक कहते हैं कि देश में यहां के विद्यार्थियों की डिग्री देखने के बाद उनकी योग्यता को लेकर संदेह किया जाने लगा है. यूपी के तमाम शिक्षाविद इससे अवगत हैं पर उन्होंने उच्च शिक्षा की बदहाली को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया. राज्यपाल के अनुसार प्रदेश में कुल 24 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 21 पुराने तथा तीन नए हैं. सभी विश्वविद्यालयों के कामकाज की समय सारणी बनी हुई है फिर भी तमाम विश्वविद्यालय समय से परीक्षा परिणाम घोषित नहीं करते.
राज्यपाल के अनुसार सूबे के विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर अपने स्तर से की गयी समीक्षा में उन्होंने पाया कि गत जनवरी में हुए कुलपति सम्मेलन में उच्च शिक्षण संस्थाओं के शैक्षिक मूल्यांकन के लिए राज्य स्तरीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (सैक) की स्थापना का निर्णय किया गया था. राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने सैक का प्रस्ताव तैयार कर लिया पर अभी तक उसे लागू नहीं किया गया. राज्यपाल ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन की स्थिति भी निराशाजनक पायी.शोध कार्यो के लिए राज्य स्तरीय सूचना केंद्र बनाने की दिशा में भी कोई ठोस पहल नहीं होना उन्होंने पाया. विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन एकेडमिक मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करने की सरकारी मंशा भी पूरी ना होना उन्हें दिखा.
राज्यपाल ने यह भी बताया कि कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति और परीक्षाफल की समयबद्धता सुनिश्चित करने में भी यूपी के अधिकांश विश्वविद्यालय नाकाम रहे हैं. वही प्रदेश में डिजाइन यूनिवर्सिटी स्थापित करने के मामले में सरकार के स्तर से कोई ठोस पहल नहीं हुई. राज्यपाल कहते हैं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार तथा कुलपतियों की सुस्ती के चलते विश्वविद्यालयों में नामांकन, शिक्षा व परीक्षा प्रणाली, प्रशासनिक कार्यों के कंप्यूटरीकरण की स्थिति को बेहतर नहीं पाए जाने पर उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त बदहाली को खत्म करने की पहल करने का निर्णय लिया.
रामनाईक के अनुसार यूपी के सभी विश्वविद्यालयों का मानद कुलाधिपति राज्यपाल हैं. ऐसे में यूपी की उच्च शिक्षा का पुराना गौरव वापस लौटाना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है. जिसे पूरा करने को लेकर वह बेहत गंभीर है और इस दिशा में उन्होंने प्रयास भी शुरू किया हैं. जिसके तहत उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक रणनीति तैयार की है और सूबे के सभी विश्वविद्यालयों के सीधे संपर्क में रहने का फैसला किया है.
राज्यपाल के मुताबिक सूबे के विश्वविद्यालयों से सीधे जुड़ाव को लेकर उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों के कामकाज में एकरूपता लाने के लिए एक समयसारिणी तैयार की है. यह समयसारणी सभी विद्यालयों को भेजी गई है. समयसारिणी के अनुसार विश्वविद्यालय में एडमिशन से लेकर परीक्षा तथा रिजल्ट घोषित किया जाएगा. अगर कोई विश्वविद्यालय इस समय सारिणी को लागू नहीं करता है तो उसके कुलपति समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. फिर भी यदि कोई विश्वविद्यालय इस समय सारिणी को लागू करने में किसी कारण से असमर्थ है या तब्दीली करना चाहता है तो इसके पीछे के समस्त कारणों से राज्यपाल को अवगत कराना पड़ेगा.
इस प्रयास को कोई कुलपति हल्के में ना ले, इसे लेकर राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से सीधा संपर्क करते रहेंगे. अपने इस अभियान के तहत शनिवार को वह पूर्वांचल विश्वविद्यालय पहुंचे. राज्यपाल ने यहां के कुलपति तथा अधिकारियों से बातचीत की. राज्यपाल ने जौनपुर के उक्त विश्वविद्यालय की तमाम समस्याओं की जानकारी प्राप्त की. इसी क्रम में अब राज्यपाल वाराणसी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का जायजा लेने जाएंगे. राज्यपाल कहते हैं कि हर विश्वविद्यालय पहुंचकर वह वहां की कमियों को दूर करने और सभी विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार एवं वित्त अधिकारी के समस्त खाली पदों को भरे जाने का प्रयास करेंगे.
विश्वविद्यालयों की समस्याओं को दूर करने के लिए वह प्रदेश सरकार को निर्देश भी देंगे. इसके बाद राज्यपाल पुराने विश्वविद्यालयों में बंद दीक्षांत समारोहों को भी शुरू कराएंगे. राज्यपाल को उम्मीद है कि उनकी इस पहल का असर जल्दी ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिखेगा.