मंत्रियों का होल्डिंगवार और अखिलेश सरकार की सफाई
ll लखनऊ से राजेन्द्र कुमार ll समाजवादी पार्टी (सपा) के लखनऊ में होने वाले नौवें राष्ट्रीय अधिवेशन पर हो रहा खर्च सवालों के घेरे में आ गया. अखिलेश सरकार के मंत्रियों के बीच छिड़ी होल्डिंगवार को लेकर ही यह सवाल खड़ा हुआ है. अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों ने लखनऊ शहर को होल्डिंग और पोस्टरों […]
ll लखनऊ से राजेन्द्र कुमार ll
समाजवादी पार्टी (सपा) के लखनऊ में होने वाले नौवें राष्ट्रीय अधिवेशन पर हो रहा खर्च सवालों के घेरे में आ गया. अखिलेश सरकार के मंत्रियों के बीच छिड़ी होल्डिंगवार को लेकर ही यह सवाल खड़ा हुआ है. अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों ने लखनऊ शहर को होल्डिंग और पोस्टरों से पाट दिया है, जिसका संज्ञान लेते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकारी खर्चे पर सपा का अधिवेशन कराए जाने का आरोप लगाया है. विपक्ष के इस आरोप को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने निराधार बताया है.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि 8 से 10 अक्टूबर तक होने वाले सपा के अधिवेशन पर पार्टी धन खर्च कर रही है. पार्टी के ही पैसे से जनेश्वर मिश्र जी की भव्य प्रतिमा स्थापित की जा रही है. प्रदेश सरकार का इस आयोजन से कुछ लेना देना नहीं है. वैसे भी सपा सरकारी पैसे से अपने किसी भी नेता की प्रतिमाओं को नहीं लगाती, जैसा की पूर्व की मायावती सरकार करती थी. मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारों को पार्टी के अधिवेशन को लेकर यह सफाई दी तो इसकी वजह उनकी ही सरकार के एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के बीच होल्डिंग लगाए जाने की मची होड़ थी.
इन मंत्रियों ने पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को भव्य बनाने के लिए समूचे शहर को होल्डिंग और पोस्टरों से पाट दिया है. लखनऊ हवाई अड्डे से लेकर गोमतीनगर के जनेश्वर मश्रि पार्क के दोनो तरफ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव, राम गोपाल यादव और मुख्यमंत्री की पत्नी डिंपल यादव के होल्डिंग ही होल्डिंग दिखा दे रहे हैं. इसमें सर्वाधिक होल्डिंग प्रदेश के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने लगाई हैं. गायत्री प्रसाद अखिलेश सरकार में खनन विभाग के मंत्री हैं.
वह अपने को सपा प्रमुख का शष्यि बताते हैं, शायद इसीलिए बीते लोकसभा चुनावों में उनके प्रभाव वाले जिलों में पार्टी प्रत्याशियों की हुई करारी पराजय के बाद भी पार्टी नेतृत्व ने उनसे कोई सफाई नहीं मांगी. ऐसे में गायत्री प्रसाद ने अब पार्टी के अधिवेशन को भव्य दिखाने के लिए सबसे बड़ी होल्डिंग लगायी है. उन्हीं की तरह कैबिनेट मंत्री मनोज पाण्डेय और नारद राय ने भी लखनऊ शहर को होल्डिंग से पाटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इन दोनों कैबिनेट मंत्रियों की सैंकड़ों होल्डिंग लोहिया पथ पर दिखायी दे रही हैं.
मनोज पाण्डेय अखिलेश सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हैं. लोकसभा चुनावों के पूर्व वह कृषि मंत्री का दायित्व संभाल रहे थे पर लोकसभा चुनावों में पार्टी के ब्राह्यण प्रत्याशियों को मिली करारी हार के कारण सपा प्रमुख ने उनके विभाग में परिवर्तन कर दिया. अब मनोज पाण्डेंय ज्यादा से ज्यादा होल्डिंग लगवाकर पार्टी नेतृत्व को लुभाने की फिराक में जुटे हैं. वही खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री नारद राय ने होल्डिंग लगवाने के साथ ही पार्टी अधिवेशन में आने वालों के खान-पान की व्यवस्था का दायित्व लिया है. इसके लिए उन्होंने बलिया से खाना बनाने वालों बुलाया हुआ है.
मंत्रियों के बीच बचे होल्डिंग वार में कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अखिलेश यादव के मित्र अभिषेक मिश्र, राज्यमंत्री राजपाल कश्यप, सुनील यादव समेत दर्जनों राज्य मंत्री शामिल हैं. ये सभी लोग सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना चेहरा दिखाने के लिए इस मौके किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहते और इसीलिए इन लोगों ने जनेश्वर मिश्र की ओर जाने वाली हर सड़क के किनारे बड़े-बड़े होल्डिंग खड़े करा दिए हैं. लखनऊ वासियों के लिए सड़क के किनारे बड़े-बड़े होल्डिंग लगते देखना कोई नयी बात नहीं है.
बसपा सरकार में भी ऐसा ही होता था. तब बसपा के ऐसे आयोजनों पर सपा नेता सवाल खड़े करते थे और अब बसपा ने सपा अधिवेशन के लिए हजारों की तादाद में लगायी गयी होल्डिंग पर सवाल उठाया है. बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि सरकारी धन से सपा के अधिवेशन को भव्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है. भाजपा के विजय पाठक का भी यही विचार है. पाठक के अनुसार मंत्रियों ने करोड़ो होल्डिंग लगवाने में खर्च किए है. सपा नेताओं को इसका जवाब देना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ भी मनाते हैं कि सपा के अधिवेशन को लेकर खुल कर सरकारी धन खर्च किया जा रहा है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया है पर उन्होंने अपने मंत्रियों के बीच छिड़े होल्डिग वार पर कुछ नहीं कहा. बस मुस्करा कर बात खत्म कर दी, ताकि यह मामला ज्यादा तूल ना पड़ने पाए.