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भाजपा ने राम मन्दिर से जुडे संतो को नहीं दिया मौका

ll लखनऊ से राजेन्द्र कुमार ll हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार खत्म हो गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के तमाम धुरंधर नेताओं नें इन दोनों राज्यों में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रचार किया. परन्तु भाजपा नेतृत्व ने राम मंदिर और पार्टी से जुड़े संत तथा महंतों को इन राज्यों में […]

ll लखनऊ से राजेन्द्र कुमार ll

हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार खत्म हो गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के तमाम धुरंधर नेताओं नें इन दोनों राज्यों में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रचार किया. परन्तु भाजपा नेतृत्व ने राम मंदिर और पार्टी से जुड़े संत तथा महंतों को इन राज्यों में चुनाव प्रचार करने का मौका नहीं दिया. कहा जा रहा है कि यूपी के उपचुनावों में पार्टी सांसद महंत आदित्यनाथ के तीखे प्रचार अभियान के बाद भी मिली हार से सबक लेते हुए पार्टी से जुड़े संतों को चुनाव प्रचार से दूर रखा गया.

पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े तमाम संत नाराज हैं और वह अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. नाराज संतों में देश के गृहराज मंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानन्द का नाम भी है. बद्रीनाथ धाम के प्रवास पर गये पूर्व गृहराज मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द कहते हैं कि महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव प्रचार में जाने के लिए पार्टी के ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया. पार्टी द्वारा कहा गया होता तो वह इन राज्यों में चुनाव प्रचार करने अवश्य जाते लेकिन अब हमको चुनाव प्रचार में जाने का प्रस्ताव क्यों आयेगा?

केंद्र में पार्टी की सरकार बन गयी है और अब संतों की क्या जरूरत. इसलिए हमे याद नहीं किया गया. कुछ ऐसे ही विचार वशिष्ठ पीठाधीस्वर और पूर्व सांसद डा. राम विलास वेदान्ती के भी हैं. वह कहते हैं कि हर बार हम लोग महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने जाते थे, लेकिन इस बार पार्टी ने हमें उपेक्षित कर दिया. गोरक्ष पीठके महन्त और पार्टी के सांसद आदित्यनाथ को भी महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव प्रचार करने नहीं भेजा गया. जबकि यूपी में विधानसभा की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया था. फिर क्यों उन्हें इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए नहीं भेजा गया?

इस सवाल पर सांसद आदित्यनाथ खीजते हुए कहते हैं कि इस बारे में मुझे नहीं पता, बस मैं यह जानता हूं कि इन दोनों राज्यों में मेरे लोकसभा क्षेत्र के तमाम लोग रहते हैं. फिर भी मुझे चुनाव प्रचार के लिए पार्टी नेतृ्व ने क्या कुछ नहीं कहा, यह मैं नहीं जानता. यूपी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी इस सवाल पर चुप्पी साध रहे हैं. वह कहते हैं कि पार्टी से जुड़े सभी संत हमारे पूज्य हैं और क्यों वह चुनाव प्रचार करने नहीं गए? यह मुझे नहीं पता.

भाजपा के बड़े नेता भले ही इस बारे में कुछ बोलने से बच रहे हों पर यह कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक ध्रुवीकरण के आरोप पार्टी पर ना लगे, इसे लेकर ही भाजपा नेतृत्व ने पार्टी से जुड़े उन साधू संतों की मदद हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में नहीं ली जो तीस वर्षों से पार्टी के हर सुख दुख में साथ खड़े रहे. ऐसा क्यों किया गया? इस सवाल पर लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर आशुतोष मिश्र कहते हैं कि यूपी में विधानसभा की 11 सीटों पर महंत आदित्यनाथ द्वारा किए उग्र धार्मिक प्रचार के चलते पार्टी को नुकसान हुआ. महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में ऐसा ना हो, शायद इसी लिए भाजपा नेतृत्व ने पार्टी से जड़े संत और महंतों को इन राज्यों के चुनाव प्रचार से दूर रखा.

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