।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।।
महाराष्ट्र और हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे शानदार सफलता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश में फिर झटका लगा है. समाजवादी पार्टी (सपा) ने सूबे की कैराना विधानसभा सीट भाजपा से छीन ली है. इस सीट पर हुए उपचुनावों में सपा प्रत्याशी नाहिद हसन ने भाजपा उम्मीदवार अनिल चौहान को 1070 मतों से हरा दिया है. इस जीत ने प्रदेश की राजनीति में सपा की अहमियत और बढ़ा दी है. कैराना सीट के नतीजों का प्रदेश की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ने की संभावना है. यह सीट जीतकर सपा ने जता दिया है कि यूपी में सपा को कमजोर समझना भाजपा नेताओं की बड़ी भूल है.
गौरतलब है कि चार माह पूर्व भाजपा ने लोकसभा की 71 सीटे यूपी में जीती थी. दो सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को जीत मिली थी. जबकि बसपा और रालोद जैसे दलों का एक भी उम्मीदवार देश की संसद में नहीं पहुंचा था. सपा को भी मात्र पांच सीटों पर जीत हासिल हुई थी. लोकसभा चुनावों में मिली ऐसी बंपर जीत के बाद भाजपा नेताओं के हौसले बुलंद हो गए और वह सपा को उखाड़ फेकने की बात करने लगे. भाजपा नेताओं के ऐसे दावों के बीच सूबे की ग्यारह विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर बीते माह उपचुनाव हुआ तो भाजपा को ग्यारह में महज तीन सीटों पर ही जीत हासिल हुई. मैनपुरी सीट पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि सपा को आठ सीटों पर सफलता मिली.
वह भी तब जबकि सूबे की कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अखिलेश सरकार को हर कोई कठघरे में खड़ा कर रहा था, पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहतर चुनावी प्रबंध के चलते भाजपा को प्रदेश में करारी शिकस्त खानी पड़ी. इस हार से तिलमिलाए भाजपा नेतृत्व ने कैराना विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों को बहुत गंभीरता से लिया, फिर भी वह अपने उम्मीदवार को जिता नहीं सके. जबकि यह सीट हुकुम सिंह के सांसद बनने के कारण कैराना सीट रिक्त हुई थी.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के कब्जे वाली इस सीट पर अनिल चौहान को और सपा ने नाहिद हसन को चुनाव लड़ाया था. कांग्रेस ने नाहिद हसन के चाचा अरशद हसन को चुनाव मैदान में उतारकर इस चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया. कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. दो लाख से अधिक मतदाताओं ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इस महत्वपूर्ण सीट पर वोट डालकर सपा उम्मीदवार पर अपना विश्वास जताया. तो भाजपा नेताओं की बोलती बंद हो गई.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने खिसियाते हुए कहा कि वह हार के कारणों की समीक्षा के बाद ही कुछ कहेंगे. फिलहाल भाजपा की इस हार को पार्टी नेतृत्व की लापरवाही बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व ने कैराना सीट के चुनावों को गंभीरता से नहीं लिया, इस वजह से पार्टी को एक और मजबूत सीट गंवानी पड़ी. वही कैराना सीट जीतने से सपा के हौसले बुलंद हुए हैं. सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहते है कि भले ही महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा को जीत हासिल हुई हो पर सूबे की जनता अब भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहकावे में आने वाली नहीं है. यह कैराना विधानसभा सीट के चुनाव परिणामों से साबित हो गया है.