विवाद, भितरघात ने छिनवाई लाल बत्ती

-लखनऊ से राजेंद्र कुमार- उत्तर प्रदेश सरकार की मदद करने और चुनावी फायदा लेने के लिए बनाये गये दर्जा प्राप्त 82 राज्यमंत्रियों से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दीपावली बीतते ही निजात पा ली. दर्जा प्राप्त ये राज्यमंत्री अखिलेश सरकार और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों पर ही बोझ बन गये थे. आये दिन इन राज्यमंत्रियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2014 1:49 PM

-लखनऊ से राजेंद्र कुमार-

उत्तर प्रदेश सरकार की मदद करने और चुनावी फायदा लेने के लिए बनाये गये दर्जा प्राप्त 82 राज्यमंत्रियों से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दीपावली बीतते ही निजात पा ली. दर्जा प्राप्त ये राज्यमंत्री अखिलेश सरकार और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों पर ही बोझ बन गये थे.

आये दिन इन राज्यमंत्रियों के किसी ना किसी विवाद में उलझने और पार्टी के साथ किये जा रहे भितरघात के चलते सरकार तथा पार्टी की जनता के बीच फजीहत हो रही थी. फिर भी यह राज्यमंत्री अपने आचरण में बदलाव नहीं ला रहे थे, जबकि सपा प्रमुख इनको अपने आचरण में बदलाव लाने की निर्देश दिया था. ऐसे में शानिवार की रात को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दर्जा प्राप्त 82 राज्यमंत्रियों को एक झटके में बर्खास्त कर दिया.

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विभिन्न सरकारी विभागों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य और सलाहकार बनाकर इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा था. इन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों को अखिलेश सरकार के अच्छे कामों को जनता के बीच प्रचारित करने और अपने क्षेत्र के लोगों को पार्टी से जोड़ने का दायित्व मिला था.

परंतु अपने इस दायित्व को पूरा करने में इन लोगों ने रुचि नहीं ली. सपा नेताओं के अनुसार लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद ही दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों की यह कारगुजारी पार्टी नेतृत्व के सामने आयी. तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने चुनावों के दौरान काम ना आने वाले मंत्रियों के साथ ही तमाम पार्टी पदाधिकारियों को अगाह किया था.

तब मुलायम सिंह ने कहा था कि पार्टी से भितरघात करने वाले और जनता की समस्याओं की अनदेखी करने वाले मंत्री और विधायक अपना आचरण सुधार लें अन्यथा उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी. फिर भी सपा प्रमुख की नसीहत पर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों ने तवज्जो नहीं दी और अपनी मनमानी करते रहे.

जिसकी रिपोर्ट सपा प्रमुख मुलायम सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव से प्राप्त हुई. जिसमें दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री नटवर गोयल, साहिब सिंह वर्मा, केसी पांडेय, रामलाल अकेला और गुड्डू पंडित जैसे सपा नेताओं की मनमानी और उनके विवादों में उलझने से पार्टी और सरकार की छवि पर असर पड़ रहा था. फिर पार्टी के तमाम नेता अपने व्यहार में तब्दीली नहीं ला रहे थे.

जिसका संज्ञान लेते हुए ही लखनऊ में हुए सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार में लाभ कमाने वाले मंत्रियों का जिक्र किया. मुलायम ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि पार्टी से भितरघात करने वाले गद्दार लोगों के खिलाफ रामगोपाल लगातार कार्रवाई करने का दबाव बना रहे है, पर मैं चाहता हूं कि पार्टी के बड़े नेता, मंत्री, विधायक और कार्यकर्ता अपना आचरण सुधार कर जनता की समस्याओं को दूर करने में लगे क्यों­कि लोकतंत्र में जनता ही सब कुछ है.

यदि जनता नाराज हो जाती है तो इंदिरा गांधी जैसी ताकतवर नेता को हार का सामना करना पड़ता है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह की इस नसीहत को भी तमाम सपा नेताओं ने हवा में उड़ाया ही बीते शुक्रवार को बागपत में एक दर्जा प्राप्त मंत्री के पिता ने दरोगा को सरेआम बेइज्जत कर कानून व्यवस्था का मखौल उड़ाया. तो शनिवार की रात मुख्यमंत्री अखिलेश भी सख्त हो गए और सरकार तथा पार्टी की छवि पर भारी पड़ रहे 82 दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों की लालबत्ती छीन ली. इन मंत्रियों को मिली सरकारी गाड़ी, मकान और स्टाफ भी छिनेगा.

मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई को सपा नेता मिशन आपरेशन क्लीन बता रहे हैं. उक्त मिशन के तहत अभी कुछ और मं­त्रियों पर गाज गिराए जाने का दावा भी कुछ सपा नेता कर रहे हैं. इन नेताओं के अनुसार सपा प्रमुख ने निर्देश पर मुख्यमंत्री द्वारा 82 दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों को हटाने संबंधी कार्रवाई के चलते अब सपा नेता विवादित मामलों से दूर रहेंगे. पार्टी के काम में जुटेंगे और गुंडागर्दी तथा अराजकता में लिप्त लोगों से दूरी बनायेंगे.

क्षेत्र में जनता की समस्या को सुनकर उसे दूर करने का कार्य करेंगे. यही नहीं सपा प्रमुख के निर्देशों की अनदेखी भी नहीं करेंगे. भाजपा प्रवक्ता डॉ मनोज मिश्र ने भी सपा की इस कार्रवाई को उचि­­त बताया है. मनोज कहते हैं कि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों की हरकतों और आतंक से सूबे को निजात मिलेगी. भाजपा प्रवक्ता बर्खास्त राज्यमंत्रियों के कार्यों की जांच भी कराये जाने के पक्षधर हैं. ताकि यह पता चल रहे कि उक्त दर्जा प्राप्त राज्यमंत्रियों का प्रदेश में विकास में क्या योगदान रहा है.

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