अखिलेश अड़े, तो आजम झुके, पत्नी तंजीम ने किया राज्यसभा के लिए नामांकन
-लखनऊ से राजेंद्र कुमार- बीते ढ़ाई वर्षों से अखिलेश सरकार पर दबाव बनाकर अपने हर फैसले को मनवाने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खां को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जिद के समक्ष इस बार झुकना ही पड़ा. आजम खां अपनी पत्नी डॉ तंजीम फातिमा को राज्यसभा भेजने को तैयार हो गये. जबकि […]
-लखनऊ से राजेंद्र कुमार-
जबकि तीन दिन पूर्व आजम खा ने तंजीम फातिमा को राज्यसभा भेजने से इनकार कर दिया था. आजम के इस फैसले के बाद भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यसभा के लिए घोषित किये गये पार्टी के छह प्रत्याशियों के नामों में फेरबदल नहीं किया. जिसके चलते सोमवार को सपा के अन्य पांच प्रत्याशियों के साथ डॉतंजीमफातिमा ने भी राज्यसभा के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. आजम खां की पत्नी डॉ तंजीम फातिमा का राज्यसभा के लिए नामांकन करना, मुख्यमंत्री खेमे की जीत बताया जा रहा है.
सपा द्वारा सबसे अधिक उम्मीदवारों को राज्यसभा भेज सकने के ही चलते अमर सिंह से लेकर कई मीडिया और औद्योगिक घरानों के लोगों ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. परंतु मुलायम सिंह ने अपने दोस्त रहे अमर सिंह तथा अन्य लोगों को किनारे करते हुए अपने चचेरे भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव, आजम खां की पत्नी तंजीन फातिमा, झांसी के डॉ चंद्रपाल सिंह यादव, लखीमपुर खीरी के पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा, बलिया के पूर्व सांसद तथा स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर और सम्भल के जावेद अली खान को पार्टी को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया.
इसी वजह से अमर सिंह को जनेश्वर मिश्र पार्क के लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर बुलाया गया. तब उक्त कार्यक्रम के मंच पर मुलायमवादी होने का नया समाजवादी नारा देकर अमर सिंह ने सपा से अपने रिश्ते बेहतर होने का संकेत दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अमर सिंह को सपा में वापस लाने पर अपनी रजामंदी नहीं जतायी. इस मसले पर कई मर्तबा उनकी मुलायम सिंह यादव से अकेले में लंबी चर्चा हुई पर अखिलेश अड़े रहे.
यही नहीं आजम खां ने कई बार यह संकेत दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश की सरपरस्ती स्वीकार नहीं हैं. ऐसे में मुलायम सिंह ने जावेद अली खान के साथ में डॉ तंजीम फातिमा को भी राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया. आजम खां को जावेद अली पसंद नहीं है. जिसके चलते वह खफा हो गए और अपनी पत्नी को राज्यसभा भेजने से मना कर दिया.
पार्टी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश की सलाह पर मुलायम सिंह ने राज्यसभा के लिए घोषित छह प्रत्याशियों की सूची में फेरबदल ना करने अब पार्टी में इस बात का संदेश देने की कोशिश की कि उन्हें अखिलेश पर पूरा भरोसा है. अखिलेश की राय पर ही अब पार्टी में अहम फैसले होंगे. अब पार्टी और सरकार में अखिलेश के फैसले की अनदेखी करने वालों की नहीं सुननी जाएगी. जिसके चलते ही मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह और आजम खां सरीखे अपने बेहद करीबी दो नेताओं की नहीं सुनी है और आजम खां को भी वर्षों बाद झुकना पड़ा है.