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यूपी में दिग्गजों को रास नहीं आ रही मोदी की आदर्श ग्राम योजना

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊःप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेताओं को रास नहीं आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने भी अभी तक सांसद आदर्श ग्राम योजना […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊःप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेताओं को रास नहीं आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने भी अभी तक सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव का चयन नहीं किया है. इन बड़े नेताओं की देखादेखी लोकसभा एवं राज्यसभा में सक्रिय प्रदेश के 30 से अधिक सांसदों ने गांव गोद लेने की पहल नहीं की है.

यह हाल भी तब है जबकि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को यूपी में धरती पुत्र कहा जाता है और वह हमेशा गांव-ग्रामीण के विकास की बात करते हैं. बीते लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के अलावा आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ा था और जीते भी.
बाद में सपा प्रमुख ने मैनपुरी सीट छोड़ दी, तो आजमगढ़ के लोगों के मन में विकास का पहिया घूमने की बात जगी. परन्तु मुलायम सिंह ने अपने इस संसदीय क्षेत्र के किसी गांव को गत मंगलवार तक गोद लेने का निर्णय नहीं लिया. आजमगढ़ के जिलाधिकारी कहते हैं कि उनके पास अब तक सपा प्रमुख मुलायम सिंह की ओर से गांव गोद लेने की कोई अधिकृत जानकारी नहीं आई है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी जो गांव जाकर किसी गरीब के घर रूकते भी रहे हैं के संसदीय क्षेत्र अमेठी के कांग्रेसी भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि उनके नेता ने क्षेत्र के किस गांव को गोद लेने का मन बनाया है. रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी भी अभी अपने लोकसभा क्षेत्र में एक गांव का चयन नहीं कर सकी हैं.
ऐसी ही स्थिति बसपा प्रमुख मायावती की भी है. मायावती अभी राज्यसभा सांसद हैं. यूपी की सत्ता में रहते हुए उन्होंने दस हजार से अधिक गांवों का विकास अंबेडकर ग्राम विकास योजना के तहत कराया था. जाहिर है कि वह भलीभांति यह जानती हैं कि सांसद के गांव को गोद लेने से गांव का विकास होगा फिर भी उन्होंने किसी गांव को गोद लेने की सूचना सूबे की सरकार को नही दी.
यही हाल मायावती की पार्टी के अन्य राज्यसभा सांसदों का भी है. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र से लेकर पार्टी के अन्य राज्यसभा सदस्यों ने किसी ने अभी तक कोई गांव गोद नहीं लिया है. जबकि गत 11 नवंबर तक इन्हें गांव गोद लेने की सूचना संबंधित जिले के डीएम और ग्रामीण विकास मंत्रालय को को देनी थी.
गांवों को गोद लेने की तय तिथि बीत जाने के बाद भी देश के इन बड़े नेताओं द्वारा गांव गोद ना लेने पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उक्त योजना का विरोध करते हुए इन बड़े नेताओं ने गांव गोद लेने की पहल नहीं की है.
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ऐसी चर्चाओं को खारिज करते हैं. वह कहते हैं कि यदि कोई सांसद गांव गोद नहीं लेता तो वह विकास मुखी नहीं है, यह संकीर्ण मानसिकता है. हकीकत यह है कि कन्नौज की सांसद डिंपल यादव और मैनपुरी के सांसद तेज प्रताप यादव ने एक-एक गांव को गोद लिया है.
डिंपल यादव जो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं ने कन्नौज संसदीय क्षेत्र के सैय्यदपुर सकरी गांव को चुना है जहां की 85% आबादी मुस्लिम है. जबकि मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के सांसद तेज प्रताप ने सगामई गांव गोद लिया है. धमेंद्र यादव और अक्षय यादव भी जल्दी ही गांव गोद ले लेंगे.
कुछ ऐसा ही दावा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सत्यदेव त्रिपाठी भी करते है. वह कहते हैं कि कांग्रेस के सांसद जल्द से जल्द गांव गोद लेकर विकास कराएंगे. परन्तु बसपा नेता ऐसा कोई वायदा नहीं करते. वह यह भी नहीं बताते कि पार्टी के राज्यसभा सदस्य गांव को गोद लेंगे या नहीं.
बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य गांवों को गोद लेने के सवाल पर सिर्फ यही कहते हैं कि पार्टी सुप्रीमों मायावती ने अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है. फिलहाल नेताओं के ऐसे तर्कों पर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रह चुके रमेश दीक्षित कहते हैं कि गांवों के चयन को लेकर तय मानकों से तमाम दलों के बड़े नेता सहमत नहीं है और इसके चलते ही राजनीतिक विवादों से बचने के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिंह से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा बसपा प्रमुख मायावती गांवों को गोद लेने की पहल नहीं कर रही हैं.
क्या है योजना
आदर्श ग्राम योजना के तहत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को अपने लोकसभा क्षेत्र ऊवं राज्य में एक गांव गोद लेकर उसका विकास कराना है. इस गांव के विकास के लिए सांसदों को अलग से कोई फंड नहीं दिया जा रहा है. सांसद निधि कोटे से मिलने वाली रकम से ही चयनित गांव का कायाकल्प किया जाना है.

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