राज्यपाल राम नाईक का नया एजेंडा

।।राजेन्द्र कुमार।। अखिलेश सरकार की खामियों को लगातार खुलकर उजागर करने वाले यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने नियमों की अनदेखी कर रूतबा गालिब करने वाले नेताओं और अफसरों को ठीक करने की ठान ली है. जिसके तहत उन्होंने भारत के राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक की लाट’ का अनाधिकृत प्रयोग करने वाले नेताओं और अफसरों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2014 6:54 PM

।।राजेन्द्र कुमार।।

अखिलेश सरकार की खामियों को लगातार खुलकर उजागर करने वाले यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने नियमों की अनदेखी कर रूतबा गालिब करने वाले नेताओं और अफसरों को ठीक करने की ठान ली है. जिसके तहत उन्होंने भारत के राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक की लाट’ का अनाधिकृत प्रयोग करने वाले नेताओं और अफसरों को सुधर जाने की नसीहत दी है. राज्यपाल के इस संकेत के बाद भी अब यदि यूपी में किसी अनाधिकृत व्यक्ति या संस्था ने राष्ट्रीय प्रतीक का प्रयोग किया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. जिसके तहत उसे दो वर्ष की सजा भोगनी पड़ सकती है और जुर्माना भी देना होगा.

गौरतलब है कि यूपी में तमाम नेता और अधिकारी समाज में अपना रौब गालिब करने के लिएअपने लेटर पैड और विजिटिंग कार्ड पर अशोक की लाट छपवा लेते हैं. कुछ नेता और अफसर तो निमंत्रण पत्रों भी अशोक की लाट का प्रयोग करने से बाज नहीं आते. सूबे के राजभवन में रोज पहुंचने वाले करीब पांच सौ से अधिक पत्रों और निमंत्रण पत्रों पर राज्यपाल ने बीते दिनों अशोक की लाट का प्रयोग देखा तो वह नाराज हुए. राज्यपाल ने पाया कि तमाम पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और सेवानिवृत अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर अपने पैड और कार्ड पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया है.
जबकि भारत के राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) नियम 2007 के अनुसार पूर्व मंत्रियों, पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों, पूर्व न्यायाधीशों व सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों आदि द्वारा अपने लेटर पैड एवं अन्य लेखन सामग्री पर भारत के सरकारी चिह्न का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. राजभवन के अफसरों के अनुसार उक्त नियमों के तहत प्राधिकृत किए बिना कोई आयोग, समिति, पब्लिक सेक्टर उपक्रम, बैंक, नगरपालिका परिषद, पंचायत राज संस्था, परिषद, गैर-सरकारी संगठन, विश्वविद्यालय, संगम (एसोसिएशन) या व्यक्ति निकाय (बॉडी आफ पर्सन्स), चाहे निगमित हों या नहीं, सरकारी चिह्न का प्रयोग नहीं कर सकता है.
इस नियमों में यह भी उल्लेख है कि सरकारी चिह्न का प्रयोग करने के लिए अधिकृत व्यक्ति भी किसी लेखन सामग्री जैसे लेटर हेड, परिचय कार्ड, बधाई कार्ड आदि पर अपने नाम के साथ अधिवक्ता, संपादक, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे शब्द प्रयोग नहीं कर सकते हैं. इसके बाद भी यदि कोई नियमों की अनदेखी करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक का अनाधिकृत प्रयोग करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब इसी नियम का राज्यपाल राम नाईक ने कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्णय लिया है. जिसके तहत अब यदि कोई नेता या अधिकारी भारत के राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक की लाट’ के अनाधिकृत प्रयोग करेगा तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी फिर चाहे वह नेता या अधिकारी कितने भी बड़े पद पर तैनात क्यों ना रहा हो. राज्यपाल राम नाईक का यह नया एजेंडा है और इसका अनुपालन वह कड़ाई से कराएंगे.

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