बसपा के मूल वोट बैंक पर है सपा की नजर
लखनऊ: मुख्यत दलित जनाधार वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की लोकसभा चुनाव में करारी पराजय से उत्साहित समाजवादी पार्टी (सपा) अब वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उसके मुख्य वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गयी है. सपा ने अपने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ को नया कलेवर तथा तेवर […]
लखनऊ: मुख्यत दलित जनाधार वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की लोकसभा चुनाव में करारी पराजय से उत्साहित समाजवादी पार्टी (सपा) अब वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उसके मुख्य वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गयी है.
सपा ने अपने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ को नया कलेवर तथा तेवर दिया है और सुभाष पासी को उसका अध्यक्ष बनाया है. पासी ने प्रकोष्ठ की जिला तथा विधानसभा स्तरीय समितियों के पुनर्गठन की कवायद शुरू कर दी है.
पासी ने बताया कि हालांकि बसपा अध्यक्ष मायावती दलितों का भला करने का दावा करती हैं और खुद को उनके मसीहा के रुप में पेश करती हैं लेकिन उन्होंने अपनी जाति को छोडकर बाकी 17 दलित जातियों, जिनमें अनुसूचित जातियां भी शामिल हैं, को उपेक्षित छोड़ दिया.
अब किसी को तो उन उपेक्षित जातियों के बारे में सोचना पडेगा. उन्होंने कहा कि मायावती के तमाम दावों के बावजूद बड़ी संख्या में दलित खुद को उपेक्षित और तिरस्कृत महसूस कर रहे हैं.
मायावती अपने समर्थकों से मुलाकात तक नहीं करती हैं और उनके करीबी विश्वासपात्रों ने उनके तथा समर्थकों के बीच एक दीवार खडी कर दी है. पासी ने कहा कि मैंने दलित नेताओं की मुख्यमंत्री से मुलाकात करवायी और भविष्य में भी इस क्रम को जारी रखूंगा.
ऐसी मुलाकातों से दलितों के मन में सपा के प्रति विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी. उनके अंदर भरोसा पैदा होगा कि सिर्फ सपा ही उनके हितों और अधिकारों की सुरक्षा कर सकती है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी है. साथ ही यह भरोसा भी दिया है कि वह दलितों को सपा के नजदीक लाने के लिये हर सम्भव मदद करेंगे.