यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 1.26 लाख पद रिक्त, योगी सरकार ने बताई नियुक्तियां नहीं होने की वजह
प्रदेश सरकार के मुताबिकअनुपात पूर्ण होने की वजह से किसी नई नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है. सरकार ने कहा कि भविष्य में छात्रों की संख्या में इजाफा होने की स्थिति में इन पदों के सापेक्ष नियुक्तियां की जाएंगी. इस बीच सपा विधायकों ने शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाने की मांग भी उठाई है.
UP Assembly Monsoon Session 2023: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे युवाओं को लंबा इंतजार करना होगा. प्रदेश सरकार फिलहाल परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती नहीं करेगी. ऐसा नहीं है कि इन स्कूलों में सभी पदों पर शिक्षक कार्यरत हैं.
सरकार ने स्वयं माना है कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के 1,26,490 पद रिक्त हैं. इसके बावजूद इन पर फिलहाल भर्ती करने का कोई इरादा नहीं है. सरकार की ओर से इसकी वजह भी बताई गई है.
प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त पदों की स्थिति
प्रदेश सरकार के मुताबिक बेसिक शिक्षा परिषद के नियंत्रणाधीन संचालित परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में स्वीकृत पद 4,17,886 के सापेक्ष प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के 85,152 पद रिक्त हैं. उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बात करें तो इनमें स्वीकृत पद 1,62,198 के सापेक्ष प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के 41,338 पद रिक्त हैं.
प्राइमरी स्कूलों में ये है प्रति शिक्षक और छात्रों का अनुपात
सपा विधायक अनिल प्रधान, अभय सिंह और गुलाम मोहम्मद के विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत 3,32,734 शिक्षक तथा 1,47,766 शिक्षामित्र की संख्या को सम्मिलित करते हुए छात्र शिक्षक अनुपात 30:1 मानक के अनुसार पूर्ण है. यानी प्राथमिक विद्यालयों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक वर्तमान में है.
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उच्च प्राथमिक स्कूलों की स्थिति
इसी तरह प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत 1,20,860 शिक्षक और 27,555 अनुदेशक की संख्या को सम्मिलित करते हुए छात्र शिक्षक अनुपात 35:1 मानक के अनुसार पूर्ण है. इस तरह यहां वर्तमान में 35 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का अनुपात है.
प्रदेश सरकार के मुताबिक ऐसे में अनुपात पूर्ण होने की वजह से किसी नई नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है. सरकार ने कहा कि भविष्य में छात्रों की संख्या में इजाफा होने की स्थिति में इन पदों के सापेक्ष नियुक्तियां की जाएंगी. इस बीच सपा विधायकों ने शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाने की मांग भी उठाई है.
एक-प्रदेश, एक-कोर्स, एक-मूल्य योजना
वहीं मोहम्मद फहीम इरफान ने सवाल किया कि क्या प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में परिषदीय स्कूलों की भांति एक-प्रदेश, एक-कोर्स, एक-मूल्य जैसी योजना जनहित में लागू करने पर सरकार विचार करेगी. इस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन कक्षा-1 से कक्षा-8 तक मान्यता प्राप्त प्राइवेट विद्यालयों में परिषदीय विद्यालयों की तरह बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से निर्धारित पाठ्यक्रम ही संचालित किए जाने की व्यवस्था पहले ही लागू है.
शिक्षामित्रों के वेतन में नहीं होगा इजाफा
डॉ. पल्लवी पटेल, त्रिभुवन दत्त, मदन भैया और मो. ताहिर खान ने प्रदेश में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने या दोगुना किये जाने को लेकर सरकार से सवाल पूछा. इसके साथ ही शिक्षामित्रों को नियमित किये जाने पर भी विचार को लेकर जानकारी चाही गई. इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी के तहत पारित आदेश के आधार पर शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित किया गया है. मानदेय बढ़ाने या दोगुना किए जाने पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही है.
शिक्षामित्रों को नियमित करने का फैसला नहीं
वहीं शिक्षामित्रों को नियमित किए जाने के मामले में सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर एसएलपी के आदेश का हवाला दिया गया. बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि पूर्व में शिक्षामित्रों को परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किये जाने के लिए जारी शासनादेशों 19 जून 2014, 08 अप्रैल 2015, 22 दिसंबर 2015 और 20 सितम्बर 2017 को निरस्त कर दिया गया है.
उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति
वहीं उच्च शिक्षा को लेकर विधायक मुकेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं के आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में इन पर रोक लगाने के मद्देनजर छात्र-छात्राओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति के कारणों का पता लगाने के लिये किसी संस्था अथवा आयोग का गठन पर सरकार विचार कर रही है.
इस पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत मेंटरिंग प्रकोष्ठ एवं स्ट्रेस रिलीफ सेल का गठन उच्च शिक्षण संस्थानों में किया गया है. जो समय समय पर छात्र-छात्राओं से सम्पर्क करके उनके मानसिक अवसाद के कारणों का पता करती है. इसके साथ ही अभिभावकों को इसकी सूचना भी दी जाती है.
ड्रोन प्रौद्योगिकी से संबंधित पाठ्यक्रम
उच्च शिक्षा को ही लेकर विधायक डॉ. अजय कुमार ने कहा कि प्रदेश में बहुउद्देशीय ड्रोन के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए ड्रोन विश्वविद्यालय स्थापित करने पर सरकार विचार करेगी. इस पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के स्तर पर ड्रोन प्रौद्योगिकी व अन्य न्यू एज कोर्स से संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ाये जा रहे हैं. प्रदेश में ड्रोन इन्डस्ट्री अभी प्रारम्भिक चरण में है और इसमें विकास की सम्भावनाएं बनी हुई हैं. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रदेश में ड्रोन विश्वविद्यालय तत्काल खोले जाने का औचित्य प्रतीत नहीं होता है.
स्ववित्तपोषित महाविद्यालय का भुगतान सरकार के स्तर पर नहीं
उच्च शिक्षा मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में प्रदेश में संचालित स्ववित्तपोषित महाविद्यालय के प्राचार्य एवं आचार्यों को सरकार के स्तर पर वेतन भुगतान करने से इनकार किया. उन्होंने विधायक देवेन्द्र प्रताप सिंह के पूदे सवाल पर कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. स्ववित्तपोषित महाविद्यालय के प्राचार्य एवं शिक्षकों के वेतन का भुगतान शासन के जरिए स्ववित्तपोषित महाविद्यालय के लिये जारी शासनादेशों की व्यवस्थानुसार किया जा रहा है. महाविद्यालय में शिक्षण शुल्क से प्राप्त आय का कम से कम 75 प्रतिशत अंश वेतन आदि पर खर्च किये जाने की व्यवस्था निर्धारित की गई है.