मुलायम जनता दल परिवार के साथ दिल्ली में दिखाएगे ताकत

।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।। सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेन्द्र मोदी के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव अब जनता दल परिवार के अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली में 22 दिसंबर यानि की सोमवार को अपनी ताकत दिखाएंगे. दिल्ली में मुलायम और उनके साथ नरेन्द्र मोदी की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2014 6:31 PM

।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।।

सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेन्द्र मोदी के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव अब जनता दल परिवार के अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली में 22 दिसंबर यानि की सोमवार को अपनी ताकत दिखाएंगे. दिल्ली में मुलायम और उनके साथ नरेन्द्र मोदी की सरकार खिलाफ मोर्चा खोलते हुए धरना प्रदर्शन करेंगे.

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का दावा कि मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए होने वाले धरना प्रदर्शन की कमान संभाल ली है. इस धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में तीन लाख से अधिक लोग शामिल होंगे.सपा और जनता दल परिवार का यह धरना प्रदर्शन कार्यक्रम दिल्ली के जंतर मंतर मैदान में होना है. इस कार्यक्रम के माध्यम से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और जनता दल परिवार के शरद यादव, लालू प्रसाद यादव तथा नीतीश कुमार सरीखे बड़े नेता देश के अल्पसंख्यक मतदाता को यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि सपा और जनता दल परिवार ही नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की गिरफ्त में उत्तर प्रदेश और बिहार सहित देश के अन्य राज्यों को आने से बचा सकता है.

अब सोमवार को यह पता चलेगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के के मुकाबले नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और उनके साथ जुड़ा जनता परिवार कितनी शक्ति के साथ में खड़ा होगा. यही नहीं इस धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में इसका भी खुलासा होगा कि क्या जनता दल परियार ने अपना सर्वमान्य नेता चुन लिया है क्योंकि अभी तक इस मामले को लेकर भ्रम ही बना हुआ है.

फिलहाल सपा के धरना प्रदर्शन कार्यक्रम को लेकर उठ रहे इस तरह के सवालों पर सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कुछ भी नहीं बोलते, परन्तु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी कहते हैं कि मुलायम सिंह और उनके साथियों का धरना प्रदर्शन कार्यक्रम बेकार की कवायद है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपनी ताकत दिखाने के लिए ही यह कार्यक्रम कर रहे हैं. वह यह भी कहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों का संज्ञान लेते हुए मुलायम सिंह और जनता दल परिवार को एकजुट करने की मुहिम में लगे हैं, ताकि नरेन्द्र मोदी की सुनामी से यूपी, बिहार और अन्य राज्यों में सपा तथा जनता परिवार के अस्तित्व को बचाया जा सके.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के इस तर्क से लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिक शस्त्र के प्रोफेसर आशुतोष मिश्र इत्तेफाक नहीं रखते. वह कहते हैं कि ऐसे धरना प्रदर्शन कार्यक्रमों से ना तो नरेन्द्र मोदी के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाया जा सकता है और ना ही यूपी, बिहार तथा देश के अन्य राज्यों में विकास कार्यों को गति दी जा सकती. आशुतोष मिश्र के मुताबिक यूपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी.
यूपी के लोगों ने भाजपा और अपना दल को बीते लोकसभा चुनावों में 73 संसदीय सीटों पर इस उम्मीद के साथ जीत दिलायी कि भाजपा यूपी की खस्ताहाल हालत को दुरूस्त करने में जुटेगी. यूपी के मुख्यम‍ंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के विकास के लिए करीब दो लाख करोड़ रुपये की मांग केन्द्र से की है. परन्तु अब तक मुख्यमंत्री की मांग पर केंद्र ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह प्रदेश के से विकास संबंधित इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन के दौरान नरेन्द्र मोदी को घेर सकते हैं पर ऐसा करने की अपेक्षा धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में सपा नेता भीड़ ले जाकर ताकत दिखाने को महत्व दे रहे हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे डा. रमेश दीक्षित कहते हैं कि जंतर-मंतर से मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की आड़ लेकर नरेन्द्र मोदी और उनकी पूरी सरकार को घेरने की कारगर रणनीति को अंजाम तक पहुंचा सकते हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें हकीकत और फसाने के बीच असली भेद को मिटाना होगा.
श्री दीक्षित के अनुसार यदि नेताजी और जनता दल परिवार के उनके साथी जंतर-मंतर से नरेन्द्र मोदी को घेर पाने का संदेश देने में कामयाब हो गए तो उनका पारम्परिक वोट बैंक उनके और निकट आएगा. परन्तु यदि नेताजी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एकला चलों की राह चलेंगे तो इसका भारी नुकसान उन्हें उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ सकता है. इसलिए धरना प्रदर्शन कर मोदी सरकार को घेरने के साथ ही मुलायम और उनके सहयोगियों को अपने-अपने राज्यों के विकास का स्पष्ट खांका जनता के बीच रखना होगा, तभी जनता का समर्थन उन्हें प्राप्त होगा. धरना प्रदर्शन में भीड़ जुटाकर ताकत दिखाने से कुछ नहीं होने वाला. जनता का वोट तो सरकार के कामकाज पर ही मिलेगा.

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