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खत्म नहीं हो रहे बसपा के खराब दिन
।। राजेन्द्र कुमार।। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बुरे दिन खत्म नहीं हो रहे. बीते लोकसभा चुनावों में मिली हार का सिलसिला महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में भी बसपा के साथ जारी रहा. ऐसे में अब बसपा को मिली राष्ट्रीय दल की मान्यता का दर्जा खतरे में है. चुनाव आयोग के […]
।। राजेन्द्र कुमार।।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बुरे दिन खत्म नहीं हो रहे. बीते लोकसभा चुनावों में मिली हार का सिलसिला महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में भी बसपा के साथ जारी रहा. ऐसे में अब बसपा को मिली राष्ट्रीय दल की मान्यता का दर्जा खतरे में है. चुनाव आयोग के अफसरों के अनुसार, आयोग बसपा की राष्ट्रीय मान्यता खत्म करने का आदेश कभी भी जारी कर सकता है.
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में एक भी संसदीय सीट पर जीत हासिल ना कर सकने के चलते बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी की राष्ट्रीय मान्यता के दर्जे को बरकरार रखने के लिए चुनाव आयोग से महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड व जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव तक की मोहलत मांगी थी. इन चारों राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी बसपा को करारी हार मिली. यह हाल भी तब है जबकि बसपा ने इन चारों राज्यों की पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ा था.फिर भी उसे चारों राज्यों में हार मिली.
बसपा नेताओं के अनुसार पार्टी प्रमुख मायावती को महाराष्ट्र और हरियाणा से काफी उम्मीद थी. उन्हें लगता था कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की करीब 33 सीटों पर जहां दलित वोट निर्णायक भूमिका हैं, पार्टी को कई सीटों पर जीत हासिल होगी. परन्तु मायावती की यह उम्मीद पूरी ना हो सकी और पार्टी का प्रदर्शन महाराष्ट्र में बेहद खराब रहा. चुनावी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल 2.3 प्रतिशत वोट ही मिले जो पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले करीब 0.7 प्रतिशत कम थे. हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भी बसपा की सोशल इंजीनियरिंग फेल हो गई, जबकि मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग के समीकरण को अपनाते हुए पहली बार किसी राज्य में ब्राह्मण सीएम प्रत्याशी घोषित किया था. इसके बावजूद बसपा को वहां मात्र 4.4 प्रतिशत वोट मिला जो पिछली बार के मुकाबले 0.4 प्रतिशत कम था.
झारखंड व जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भी बसपा की हालत बेहतर नहीं हुई. बसपा ने झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 68 पर प्रत्याशी उतारे. इसमें से सिर्फ एक सीट पर ही बसपा को जीत हासिल हुई. वह भी पलामू की हुसैनाबाद विधानसभा सीट पर. परन्तु जम्मू-कश्मीर में बसपा को एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं हो सकी. जबकि यहां की 87 विधान सभा सीटों में से 50 सीटों पर मायावती ने प्रत्याशी खड़े किए थे.
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार पहले लोकसभा और उसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड एवं जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में हुई चुनावी पराजय के चलते बसपा की राष्ट्रीय मान्यता अब खतरे में है क्योंकि बसपा राष्ट्रीय पार्टी के तय मानकों को पूरा करने में असफल साबित हो रही है. राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के लिए चार राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट या तीन चौथाई लोकसभा सीटों पर कम से कम दो प्रतिशत वोट हासिल करना आवश्यक है, या पार्टी की चार राज्यों में राज्य की पार्टी के तौर पर मान्यता होनी चाहिए. बीते लोकसभा चुनावों और उसके बाद चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता बरकरार रखने के लिए बसपा इन मानकों को पूरा करने में असफल रही है. जिसके चलते अब सिंबल आर्डर 1968 के तहत बसपा को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खतरे में है और अब जल्दी ही चुनाव आयोग बसपा को मिली राष्ट्रीय मान्यता का दर्जा खत्म करने का निर्णय लेगा. बसपा को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने पर उसे एक सिंबल पर पूरे देश में चुनाव लड़ने का अधिकार खत्म हो जाएगा.
अब देखना यह है कि बसपा प्रमुख मायावती इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाती हैं.
राष्ट्रीय मान्यता छिनने से होगा नुकसानबसपा अभी जो पूरे देश में हाथी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ती है राष्ट्रीय मान्यता छिनने के बाद यह सुविधा नहीं मिलेगी. आल इंडिया रेडियो व दूरदर्शन पर राष्ट्रीय पार्टियों को फ्री में प्रचार की सुविधा मिलती है, जो खत्म हो जाएगी. चुनाव आयोग की ओर से फ्री में जो चुनावी पर्चे मिलते हैं, मान्यता समाप्त होने के बाद यह सुविधा भी बीएसपी को नहीं मिलेगी.
बसपा एक नजर
*1984 में बीएसपी का हुआ गठन
*1989 में बीएसपी को मिली राष्ट्रीय दल की मान्यता
*2009 में लोकसभा चुनाव में मिले वोट 21 %
*2014 में लोकसभा चुनाव में मिले वोट 19.6%
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