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एक बार फिर विवादों में सैफई महोत्सव

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पैत्रिक गांव सैफई में बीते 18 वर्षों से हर साल आयोजित हो रहा महोत्सव फिर विवादों में हैं. सूबे के तमाम राजनीतिक दल इस महोत्सव के आयोजन में खर्च हो रहे धन को लेकर अखिलेश सरकार को घेरने में जुट गए हैं. बहुजन […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पैत्रिक गांव सैफई में बीते 18 वर्षों से हर साल आयोजित हो रहा महोत्सव फिर विवादों में हैं. सूबे के तमाम राजनीतिक दल इस महोत्सव के आयोजन में खर्च हो रहे धन को लेकर अखिलेश सरकार को घेरने में जुट गए हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने सैफई महोत्सव के आयोजन को सरकारी धन की बर्बादी बताया है. वही भाजपा प्रवक्ता विजय पाठक कहते हैं कि अखिलेश सरकार प्रदेश के जनता की समस्याओं की अनदेखी कर सैफई महोत्सव में मौज मस्ती कर रही है.

मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पूरे परिवार के साथ सैफई महोत्सव में मौजूद रहना यही दर्शाता है.सूबे के दो प्रमुख विपक्षी दलों का सैफई महोत्सव को लेकर अखिलेश सरकार पर किया जा रहा यह हमला अकारण नहीं है. गत 26 दिसम्बर से शुरू होकर 8 जनवरी को समाप्त होने वाले इस महोत्सव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब तक पांच बार और सपा प्रमुख मुलायम सिंह चार बार पहुंचे चुके हैं. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल भी महोत्सव के कई कार्यक्रमों में मौजूद रहे हैं. पार्टी सांसद धर्मेन्द्र यादव, तेज प्रताप तो लगातार 26 दिसंबर से महोत्सव में मौजूद है.

जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव ने भी महोत्सव में मुख्यमंत्री के साथ शिरकत की क्योंकि सैफई महोत्सव की शुरूआत मैनपुरी के सांसद तेजप्रताप के पिता स्वर्र्गीय रणवीर सिंह ने वर्ष 1997 में की थी. तब से यह महोत्सव हर वर्ष भव्यता के साथ आयोजित किया जाता रहा हैं. सपा प्रमुख मुलायम सिंह सहित उनका पूरा परिवार इसके आयोजना में मुख्य भूमिका निभाता है. इस बार भी यही हुआ और पार्टी के प्रमुख नेताओं को सैफई लाने ले जाने के लिए सरकार प्लेन और हेलीकाप्टर कई बार सैफई गया.

जिसके चलते ही भाजपा और बसपा के नेताओं ने सैफई महोत्सव में सरकारी धन का इस्तेमाल तथा स्टेट प्लेन और हैलीकाप्टर का बस की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाकर अखिलेश यादव को घेरा है. कुछ ऐसे ही आरोप अखिलेश सरकार पर सूबे के विपक्षी नेताओं ने तब लगे थे जब मुख्यमंत्री मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगे के बाद आयोजित हुए सैफई महोत्सव में पहुंचे थे और उन्होंने बालीवुड के कलाकारों का नाच गाना देखा था. इस बार भी सैफई महोत्सव में तमाम नामचीन सितारे पहुंचे. साइकिल दौड़ से लेकर तमाम तरह के खेलों का आयोजन महोत्सव के दौरान हुआ और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी साइकिल दौड़ में दस किलोमीटर साइकिल चलाई.

महोत्सव के दौरान होने वाले ऐसे आयोजनों की कवरेज के लिए मीडिया के लोगों को भी सूबे की सरकार सरकारी हैलीकाप्टर और प्लेन से सैफई ले गई. जिसे देख सुनकर ही विपक्षी दलों को अखिलेश सरकार पर हमला करने का मौका मिला गया.भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने इसका संज्ञान लिया और अखिलेश सरकार पर हमला बोला. बाजपेई ने बार-बार सैफई महोत्सव में मुख्यमंत्री के पहुंचने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इलाहाबाद में हो रहे माघ मेले में अव्यवस्था फैली हुई है पर मुख्यमंत्री का ध्यान ही मेले में पहुंच रहे लाखों लोगों की दिक्कतों की तरफ नहीं है. उन्हें तो सरकारी प्लेन से सैफई पहुंचकर दस किलोमीटर साइकिल चलाने में रुचि है.

यह सब उस प्रदेश में हो रहा है जहां की जनता बिजली, पानी, सड़क, बेरोजगारी सरीखी न जाने कितनी समस्याओं से दो चार हो रही है. बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी अखिलेश सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं. वे कहते हैं, सैफई महोत्सव में प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का जमकर दुरुपयोग किया गया.सरकारी खर्च पर स्टेट प्लेन से मीडिया को वहां तक ले जाया गया. सरकारी संसाधनों का खुलकर दुरुपयोग किया जा रहा है. प्रदेश की कानून व्यवस्था खस्ताहाल है. इस दुरूस्त करने के बजाय मुख्यमंत्री साइकिल चला रहे हैं. इससे अधिक खेद का विषय प्रदेश की जनता के लिए भला और क्या हो सकता है? सरकार सैफई महोत्सव को निजी आयोजन करार देती है. उसके बाद भी मुख्यमंत्री और उनके मंत्री कई मर्तबा ऐसे निजी आयोजन में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं.

सैफई महोत्सव पर हमलावर हुए विपक्ष के इन आरोपों को समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी सिरे से खारिज कर रहे हैं. वह कहते सैफई महोत्सव ग्रामीण खेलों के प्रचार और प्रसार के लिए आयोजित किया जाता रहा है. महोत्सव का पूरा खर्च आयोजन समिति करती है. इसमें सरकारी धन के इस्तेमाल का सवाल ही पैदा नहीं होता. लेकिन सरकारी प्लेन और हैलीकाप्टर के इस्तेमाल और अधिकारियों की सैफई महोत्सव में उपस्थिति के सवाल का जवाब वह नहीं देते.
परन्तु लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे डा. रमेश दीक्षित जैसे विद्वान सैफई महोत्सव का समर्थन करते हैं. वह कहते हैं कि सैफई महोत्सव जैसे आयोजनों में ग्रामीण प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिलता है. ऐसे आयोजन के लिए सपा प्रमुख बधाई के पात्र हैं और उन्हें सफई महोत्सव का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की आलोचना को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.
डा. दीक्षित के अनुसार जो राजनीतिक दल सैफई महोत्सव का विरोध कर रहे हैं, वह जनता से कटी पार्टियां हैं और उन्हें गांवो की समझ नहीं है. यह राजनीतिक दल गांवों के खिलाफ है और पाखंड के तहत सैफई महोत्सव के आयोजन का विरोध कर रहे हैं. अब देखना यह है कि डा. रमेश दीक्षित जैसे विद्वानों के इस तर्क के बीच अखिलेश सरकार विपक्ष दलों के आरोपों का जवाब किस अंदाज में देती है.

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