अल्पसंख्यक आयोग ने कहा, भाजपा की साजिश से हुआ धर्मान्तरण

लखनऊ: उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने पिछले साल दिसम्बर में आगरा में करीब 62 मुस्लिम परिवारों को कथित रुप से ‘लालच’ देकर उनकी ‘घरवापसी’ कराये जाने तथा अलीगढ में इसकी तैयारी किये जाने की घटना की जांच रिपोर्ट आज पेश कर दी। रिपोर्ट में उस वाकये के लिये भाजपा की साजिश और खुफिया तंत्र की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2015 8:21 PM

लखनऊ: उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने पिछले साल दिसम्बर में आगरा में करीब 62 मुस्लिम परिवारों को कथित रुप से ‘लालच’ देकर उनकी ‘घरवापसी’ कराये जाने तथा अलीगढ में इसकी तैयारी किये जाने की घटना की जांच रिपोर्ट आज पेश कर दी। रिपोर्ट में उस वाकये के लिये भाजपा की साजिश और खुफिया तंत्र की नाकामी को जिम्मेदार ठहराया गया है.

आयोग के अध्यक्ष शकील अहमद ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि पिछले साल दिसम्बर के शुरु में आगरा के वेदनगर में करीब 62 गरीब मुस्लिम परिवारों का सामूहिक धर्मान्तरण कराये जाने की जांच के लिये सुहेल अयूब जिंजानी, शफी आजमी, मुफ्ती जुल्फिकार अली और नफीसुल हसन की चार सदस्यीय टीम बनायी गयी थी जिसने आज अपनी रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट को जल्द ही सरकार के सुपुर्द किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि टीम गत 19 दिसम्बर को आगरा और अलीगढ के लिये रवाना हुई टीम ने चार दिन तक जांच की जिसमें पाया गया कि भाजपा और उससे जुडे संगठनों की साजिश और खुफिया तंत्र की नाकामी के कारण आगरा में धर्मान्तरण कार्यक्रम आयोजित हुआ.
अहमद ने कहा कि अलीगढ में प्रशासन की सख्ती से यह कार्यक्रम तो नहीं हो सका लेकिन इसके बावजूद सम्पूर्ण प्रकरण में खुफिया विभाग की विफलता इस बात से जाहिर हुई है कि 25 दिसम्बर को जिस स्कूल में ‘घरवापसी’ कार्यक्रम होना था उसके प्रबन्धन ने आयोजक संगठन को इसकी इजाजत दे दी थी और अभिसूचना तंत्र को इसकी भनक तक नहीं थी.
अहमद के मुताबिक रिपोर्ट में दावा किया गया है आगरा में किसी भी व्यक्ति ने अपना धर्म नहीं बदला है. भाजपा और उसके साथी संगठनों ने लोगों को घर और राशन कार्ड उपलब्ध कराने का झांसा देकर उनसे हवन-पूजन तो करवाया लेकिन वे सभी लोग अब भी इस्लाम धर्म पर कायम हैं.
अहमद ने आरोप लगाया कि केंद्र में सरकार बनाने के बाद भाजपा अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर सकी है और वह उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के कार्यो के कारण उसकी बढती लोकप्रियता से घबरायी है, यही वजह है कि उसने धर्मान्तरण का शिगूफा छोडा.
गौरतलब है कि आगरा के वेदनगर में पिछले साल सात दिसम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडे धर्म जागरण समन्वय विभाग तथा बजरंग दल ने 62 मुस्लिम परिवारों की हिन्दू धर्म में वापसी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अगले दिन उनमें से कई परिवारों ने उन्हें लालच देकर धर्म बदलने का आरोप लगाया था। इस मामले में भाजपा नेता नंद किशोर वाल्मीकि को गिरफ्तार किया था.
हिन्दूवादी संगठनों ने क्रिसमस के दिन अलीगढ में भी तीन हजार ईसाइयों और एक हजार मुसलमानों की ‘घरवापसी’ का एलान किया था लेकिन आगरा की घटना के बाद प्रशासन की सख्ती की वजह से वह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था.आगरा की घटना और अलीगढ में प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ था.इस बीच, भाजपा ने अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट पर पलटवार करते हुए कहा है कि खुफिया तंत्र की नाकामी से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खडे हुए हैं और उसके लिये किसी पार्टी को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आगरा में खुफिया तंत्र की नाकामी के कारण धर्मान्तरण कार्यक्रम हुआ। अब अभिसूचना तंत्र की विफलता के लिये भाजपा को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इस घटना ने तो सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खडे किये हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इसका जवाब देना चाहिये. उन्होंने आरोप लगाया कि लचर प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदार प्रदेश सरकार धर्म और जाति के आधार पर काम कर रही है और अपनी नाकामी का ठीकरा भाजपा के सिर फोडने की कोशिश कर रही है.

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