लखनउ: शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं का यौन उत्पीडन रोकने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर शिक्षकों और अन्य स्टाफ से कहा है कि वे सोशल मीडिया, फोन या ई-मेल के जरिए विद्यार्थियों से संपर्क नहीं करें.प्रमुख सचिव (माध्यमिक शिक्षा) जितेन्द्र कुमार ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘शिक्षकों और अन्य स्टाफ द्वारा छात्र छात्राओं के यौन उत्पीडन की घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से ये सर्कुलर जारी किया गया है. हमने शिक्षकों से कहा है कि वे सोशल मीडिया, फोन या ईमेल के जरिए छात्र छात्राओं से संपर्क ना करें.’’ कुमार ने हालांकि स्पष्ट किया कि इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि शैक्षिक उद्देश्य के अलावा सोशल मीडिया जैसे मंचों का इस्तेमाल शिक्षक नहीं करें.
आठ पेज का सर्कुलर उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देश के बाद जारी किया गया है. यह सभी शैक्षिक संस्थानों पर लागू होगा. यह सर्कुलर सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड सभी पर समान रुप से लागू होगा.
सोशल मीडिया पर शिक्षकों के छात्र छात्राओं के साथ संपर्क करने पर प्रतिबंध के बारे में सवाल करने पर उन्होंने बेंगलूर में एक स्कूली लडकी के साथ बलात्कार की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि लडकी बलात्कारी के संपर्क में फेसबुक के जरिए आयी. बाद में बलात्कारी शिक्षक ने फेसबुक का दुरुपयोग करते हुए लडकी को ब्लैकमेल किया.
सर्कुलर के मुताबिक स्कूल की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी शिक्षक या अन्य शैक्षिक स्टाफ किसी भी विद्याथी को ईमेल नहीं भेज सकता और ना ही फोन कर सकता है.कुमार ने कहा कि सकरुलर लागू नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी.