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अयोध्या में कथावाचकों और एआरआई के बीच वाकयुद्ध

अयोध्या : अयोध्या में राम कथाओं के आयोजन को लेकर ‘कथा वाचकों’ और संस्कृति विभाग की स्वायत्त इकाई अयोध्या शोध संस्थान :एआरआई: के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है. अयोध्या में ‘व्यास’ कहे जाने वाले कथा वाचकों का आरोप है कि पुरातन काल से इस धार्मिक नगरी में जारी राम कथाओं के सिलसिले को अचानक […]

अयोध्या : अयोध्या में राम कथाओं के आयोजन को लेकर ‘कथा वाचकों’ और संस्कृति विभाग की स्वायत्त इकाई अयोध्या शोध संस्थान :एआरआई: के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है. अयोध्या में ‘व्यास’ कहे जाने वाले कथा वाचकों का आरोप है कि पुरातन काल से इस धार्मिक नगरी में जारी राम कथाओं के सिलसिले को अचानक रोक दिया गया है. वहीं, एआरआई के निदेशक वाई. पी. सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कथा वाचक आम लोगों को भ्रमित कर रहे हैं.

कथा वाचक पवन शास्त्री ने आरोप लगाया ‘‘कथाओं के आयोजन अब बंद हो गये हैं. शुरु में बताया गया कि ऐसा धन के अभाव के कारण हुआ है जबकि अब बताया जा रहा है कि प्रक्रिया तथा संस्तुति नहीं होने के कारण कथाओं का आयोजन रका है.’’ उन्होंने कहा कि एक चयन समिति गठित की गयी थी जिसमें यह फैसला किया गया था कि अयोध्या के प्रबुद्ध लोग कथा वाचकों की एक सूची तैयार करेंगे और उसी के हिसाब से कथा वाचकों को बुलाया जाएगा.

शास्त्री ने कहा कि अयोध्या में रामलीला और कथा का प्रतिदिन आयोजन करने की मांग पिछले आठ साल से की जा रही है. ऐसा इसलिये क्योंकि रोजाना 10 से 50 हजार श्रद्धालु अयोध्या आते हैं और इन आयोजनों से उनका आध्यात्मिक जुडाव होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि जहां तक रामलीला का सवाल है तो पूर्व में अन्य प्रदेशों के कला समूहों को भी आमंत्रित किया जाता था लेकिन अब अयोध्या के ही कलाकारों ने अलग-अलग नामों से समूह बना लिये हैं और वे ही रामलीला का मंचन करते हैं.

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