राज्यों के पास पैसे की कमी नहीं, दिल खोलकर होनी चाहिए किसानों की सहायता: राजनाथ
लखनउ: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्रीय करों से मिलने वाले राजस्व में राज्यों का हिस्सा 32 से बढकर 42 प्रतिशत कर दिये जाने के बाद उनके पास पैसे की कमी नहीं है और उन्हें बेमौसम बारिश से पीडित किसानों की तत्काल और उदारतापूर्वक सहायता देनी चाहिए. सिंह ने आज एक बैंक […]
लखनउ: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्रीय करों से मिलने वाले राजस्व में राज्यों का हिस्सा 32 से बढकर 42 प्रतिशत कर दिये जाने के बाद उनके पास पैसे की कमी नहीं है और उन्हें बेमौसम बारिश से पीडित किसानों की तत्काल और उदारतापूर्वक सहायता देनी चाहिए.
सिंह ने आज एक बैंक शाखा के उद्घाटन समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को व्यापक क्षति हुई है. राज्य सरकारों को किसानों की उदारता पूर्वक सहायता करनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘14वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद केंद्रीय करों से मिलने वाले राजस्व में राज्यों का हिस्सा 32 से बढाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है.
राज्य सरकार यह दावा नहीं कर सकती है कि उसके पास पैसा नहीं है. इसलिए उन्हें पीडित किसानों को तत्काल और खुले मन से सहायता करनी चाहिए.’’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस आरोप पर केंद्र सरकार की तरफ से अब तक कोई सहायता नहीं मिली है, राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार समस्या की गंभीरता के प्रति संवेदनशील है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार के मंत्री स्थिति के आंकलन के लिए स्वयं विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे है.’’
यह कहते हुए कि केंद्र सरकार पहले ही राहत राशि में डेढ गुना बढोत्तरी की घोषणा कर दी है, सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार की टीमें प्रभावित अंचलों का सर्वे कर रही है और उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद विभिन्न राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से सहायता राशि भेज दी जायेगी.’’ सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में केंद्रीय सहायता राशि तय करने की एक प्रक्रिया है और केंद्र सरकार पूरी संवेदनशीलता एवं तत्परता के साथ यह प्रक्रिया पूरा रकने में लगी है.
सिंह ने राज्य सरकारों को जहां एक ओर राज्यों तथा केंद्रीय जांच दलों की रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से यथाशीघ्र और समुचित सहायता का भरोसा दिलाया है, वहीं किसानों से अपील की है कि वे हताश होकर आत्महत्या जैसे कदम न उठायें.