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अयोध्या विवाद के हल के लिए वार्ता प्रारंभ

अयोध्या : बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मामले में अदालत के बाहर हल ढूंढने के लिए आज यहां वार्ता शुरु हुई जिसके तहत उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे के दोनों समुदायों के वादियों ने यहां एक बैठक की और उम्मीद जतायी कि वार्ता मसविदा को शीघ्र ही अंतिम रुप दिया जाएगा. हिंदुओं की ओर से मुख्य वादी ऑल […]

अयोध्या : बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मामले में अदालत के बाहर हल ढूंढने के लिए आज यहां वार्ता शुरु हुई जिसके तहत उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे के दोनों समुदायों के वादियों ने यहां एक बैठक की और उम्मीद जतायी कि वार्ता मसविदा को शीघ्र ही अंतिम रुप दिया जाएगा. हिंदुओं की ओर से मुख्य वादी ऑल इंडिया हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने ऐतिहासिक करार दिया. इस पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में रामजन्मभूमि पर दावा कर रखा है.

उन्होंने कहा, एक ऐतिहासिक क्षण है कि हम सभी इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने पर राजी हुए हैं. हमने मंदिर और मस्जिद के इस विवाद को खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव बनाना शुरु किया है. वह शीर्ष अदालत में बाबरी मस्जिद को लेकर कानूनी लडाई लड रहे मुस्लिम वादियों से यहां हनुमान गढी मंदिर में मिले.

चक्रपाणि इस मामले में हिंदू पक्षकारों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे हैं जिसमें महंत धरम दास, रमेश चंद्र त्रिपाठी और निर्मोही अखारा के वकील रंजीत लाल वर्मा शामिल हैं. निर्मोही अखारा हिंदूॐ की तरफ से एक मुख्य पक्ष है.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से बाबरी मस्जिद मामले के सबसे पुराने पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी, उनके बेटे और मामले में उनके कानूनी प्रतिनिधि इकबाल अंसारी एवं खालिक अहमद खान ने भी बातचीत में हिस्सा लिया. बाबरी मस्जिद की तरफ से पक्षकार खालिक अहमद खान ने बताया, हम स्वामी चक्रपाणि का समर्थन करते हैं. हमें उम्मीद है कि बातचीत के मसौदे को जल्द ही अंतिम रुप दे दिया जाएगा और विवादित स्थल पर मंदिर और मस्जिद दोनों रहेंगे.
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ के 24 अक्तूबर 1994 के फैसले का हवाला देते हुए खान ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसले ने अधिगृहीत जमीन पर मस्जिद और मंदिर दोनों की व्यवस्था पहले ही दे दी है. मुख्य पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी के प्रतिनिधि इकबाल अंसारी ने कहा, यह बेहतरीन व्यवस्था होगी क्योंकि इसमें मंदिर और मस्जिद दोनों शामिल होंगे.
उच्चतम न्यायालय में अपीलकर्ता संख्या – 2336 के तौर पर हिंदुओं की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे चक्रपाणि ने कहा, मुस्लिमों ने अयोध्या में कभी भी राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया न ही हिंदू समुदाय से उनकी कोई दुश्मनी है. सिर्फ विश्व हिंदू परिषद ने सत्ता की खातिर दोनों समुदायों में दरारें बढाई हैं. विहिप के नेता कभी चाहते ही नहीं थे कि राम मंदिर बने, उन्हें सिर्फ सत्ता और धन चाहिए था.

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