GSVM Kanpur: बंद हुआ 40 साल पुराना स्पीच थेरेपी सेंटर, 50 हजार बच्चों का हो चुका इलाज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) में 1982 में स्पीच थेरेपी सेंटर खोला गया था. 40 वर्षों से सेंटर में हकलाने (Stammer) वाले बच्चों का इलाज हो रहा था. अब यह बंद हो गया है.
Kanpur: कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) में बना स्पीच थेरेपी सेंटर बंद हो गया. इस सेटर को डॉ. एके पुरवार चला रहे थे.फिलहाल वह दो माह पहले रिटायर हो गए. उनके रिटायरमेंट के बाद से सेंटर में ताला लगा हुआ है. सेंटर में उनकी जगह अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी है.सेंटर बंद होने से बोलने में दिक्कत या हकलाहट (Stammer) वाले बच्चों को बिना इलाज के ही वापस जाना पड़ रहा है.
1982 में खुला था स्पीच थेरेपी सेंटर
जीएसवीएएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) में 1982 में स्पीच थेरेपी सेंटर को खोला गया था. 40 वर्षों से सेंटर में हकलाने (Stammer) वाले बच्चों का इलाज हो रहा था. डॉ. एके पुरवार ने 40 साल में करीब 50 हजार बच्चों की हकलाहट को दूर किया. वह बताते है कि बच्चों की हकलाहट की वजह से माता-पिता तनाव में रहते हैं, क्योंकि माता-पिता को बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है. स्पीच थेरेपी के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है.
थेरेपी से हकलाहट (Stammering) होती है दूर
डॉ. एके पुरवार बताते है कि हकलाहट (Stammer) को लेकर कई मिथ हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि जीभ-जुड़ना, कड़वा या मीठा खिलाने से नहीं बल्कि स्पीच थेरेपी के जरिए ही हकलाहट को दूर किया जा सकता है. मेडिकल कॉलेज के डॉ. मनीष सिंह बताते है कि बाएं हाथ से काम करने वालों के दिमाग का दायां हिस्सा और दाएं हाथ से काम करने वालों का बायां हिस्सा अधिक सक्रिय होता है. संयोजिका तंत्र मस्तिष्क के दाएं और बाएं सेरेब्रल को जोड़ने का काम करता है. जो लोग हकलाते हैं, उनमें संयोजिका तंत्र कमजोर होता है. अगर इस बीमारी का समय से इलाज कराया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी