।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊः सांप्रदायिक हिंसा से ग्रस्त मुजफ्फरनगर के ग्रामीण इलाकों में सेना और पुलिस की जबरदस्त तैनाती का असर हुआ. सोमवार को मुजफ्फरनगर, शामली और मेरठ के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा की कोई घटना नहीं घटी. हालांकि शनिवार और रविवार को इन तीनों जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के चलते 31 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. अभी भी मुजफ्फरनगर, शामली और मेरठ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तनाव है. सेना और पुलिस के जवानों की तनाव ग्रस्त क्षेत्रों में गश्त कर स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास करे रहे हैं.अभी भी कई मुजफ्फर नगर के कई थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा है. कहा जा रहा है कि पूरी तरह से हालात सामान्य होने पर ही कर्फ्यू में ढ़ील दी जाएगी. उसके बाद ही सेना को हटाने पर विचार किया जाएगा.
कई अफसर हटाए गए
मुजफ्फरनगर के भीषण सांप्रदायिक दंगे से आहत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगों के लिए विपक्षी दलों पर फिर निशाना साधा है. उनका कहना है कि विपक्षी दल यूपी का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं. जिसके चलते ही यह घटना हुई है और इस प्रकरण में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरनगर के दंगे को बेहद दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए इन पर अंकुश लगाने में असफल रहे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. जिसके तहत उन्होंने सोमवार को मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे तथा शामली के पुलिस अधीक्षक अब्दुल हामिद और सहारनपुर के डीआईजी डीसी मिश्रा को हटा दिया गया है. एडीजी भावेश कुमार को भी स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सहारनपुर भेजा गया है. अब प्रवीन कुमार को मुजफ्फरनगर का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है जबकि अनिल राय शामली के एसपी होंगे. अशोक मुथा जैन को डीआईजी सहारनपुर बनाया गया है. मुख्यमंत्री अभी कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे. इनमें मेरठ के आईजी, डीआईजी, मंडलायुक्त, सहित मुजफ्फरनगर के डीएम भी शामिल हैं.
भाजपा के चार नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज
फिलहाल वह मुजफ्फरनगर में पूरी तरह से शांति का माहौल कायम करने के प्रयास में है. जिसके तहत उनके निर्देश पर मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का प्रयास करने वालों की पहचान कर उनकी धरपकड़ की जाने लगी है. ऐसी ही एक कार्रवाई में सेना व पुलिस को मुजफ्फरनगर शहर में रामलीला के टीला और खालापार क्षेत्र से हथियारों का जखीरा मिला. मुजफ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा की वजह बने कवाल प्रकरण को लेकर पुलिस ने नंगला मंदौड महापंचायत में शामिल भाजपा के चार विधायकों सहित 50 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार भाजपा के चार विधायक संगीत सोम, हुकुम सिंह, भारतेंदु, सुरेश राणा और कांग्रेस के हरेंद्र मलिक के खिलाफ दंगे के आरोप में मामला दर्ज किया है. किसान नेता नरेश व राकेश टिकैत को भी नामजद किया गया है. पुलिस के अफसरों का कहना है कि इन नेताओं के पंचायत में दिए गए भाषण के बाद ही हालात खराब हुए और तमाम लोगों को सांप्रदायिक हिंसा की भेट चढ़ना पड़ा.
अजित और रविशंकर रोके गए
मुजफ्फरनगर के हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों से मिलने जा रहे केंद्रीय मंत्री और रालोद अध्यक्ष अजित सिंह तथा उनके सांसद पुत्र जयंत चौधरी को पुलिस ने मुजफ्फरनगर नहीं जाने दिया. उन्हें गाजियाबाद यूपी गेट पर ही रोक लिया गया है. एडीजी कानून व्यवस्था अरूण कुमार के अनुसार अभी मुजफ्फरनगर में हालात सामान्य हो रहे हैं और ऐसे में किसी को वह जाने नहीं दिया जा रहा ताकि पुलिस की कार्रवाई में अवोध ना उत्पन्न हो. भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद तथा सांसद राजेंद्र अग्रवाल और उपाध्यक्ष अशोक कटारिया को भी मुजफ्फरनगर नहीं जाने दिया गया.
राज्य सरकार ने भेजी रिपोर्ट
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर के दंगे और आस-पास के जिलों में फैले तनाव के संबंध में केंद्र सरकार तथा राज्यपाल बीएल जोशी को रिपोर्ट भेज दी है. गृह सचिव कमल सक्सेना के अनुसार राज्य सरकार ने केंद्र को मुजफ्फरनगर की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दी है. यह नियमित प्रक्रिया है और मौजूदा हालात की जो सूचनाएं बताई जा रही हैं, उसे ही केंद्र सरकार को भी भेजा गया है. केंद्र सरकार और राज्यपाल को भेजी गई रिपोर्ट में अफसरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी जिक्र किया गया है.