Lucknow News: उत्तर प्रदेश की पांच प्रेरणादायक महिलाओं को नीति आयोग की ओर से ‘वूमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स’ (डब्ल्यूटीआई/WTI) के पांचवें संस्करण के तहत सम्मानित किया गया है. देश को ‘सशक्त और समर्थ भारत’ बनाने में इन महिलाओं की अहम भूमिका रही है. विभिन्न क्षेत्रों में इन महिलाओं की उल्लेखनीय उपलब्धियों को मान्यता देते हुए नीति आयोग ने वूमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स की स्थापना की है. इस वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव बड़े स्तर पर संचालित किया जा रहा है. इसी के तहत 75 महिलाओं को डब्ल्यूटीआई पुरस्कार प्रदान किए गए हैं. इन 75 विनर्स में से उत्तर प्रदेश की 5 महिलाओं को भी सम्मानित किया गया है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं…
सिरोही भारत का पहला टिकाऊ, अनूठा, घरेलू और फर्नीचर ब्रांड है. सिरोही की संस्थापक और निदेशक गौरी ने महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से इस संस्था की शुरुआत की थी. इस संस्था के माध्यम से वह रचनात्मक रूप से डिजाइन के साथ प्रौद्योगिकी पर काम करती हैं. इसके लिए वह महिलाओं को लाइफ स्टाइल में सुधार करने वाली चीजों को बनाने के लिए प्रशिक्षित करने के साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने का कार्य करती हैं. संस्था का दावा है कि अब तक सिरोही के माध्यम से उत्तर भारत की 15 हजार महिलाओं को सशक्त बनाने का काम किया गया है. साथ ही, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.
निमिषा वर्मा खतरनाक बैटरियों के कारण होने वाले ई-कचरे, प्रदूषण और बीमारियों की समस्याओं को हल करने का नायाब तरीका खोजा है. इसके लिए उन्होंने एलो ई-सेल प्राइवेट लिमिटेड का निर्माण किया है. इसमें वह एलोवेरा का उपयोग करके दुनिया की पहली 100 फीसदी पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित 1.5V AA आकार की बैटरी बनाई है. इनके बनाए गए उत्पाद को भारत सरकार और श्नाइडर इलेक्ट्रिक जैसे कॉरपोरेट्स द्वारा मान्यता दी गई है. आत्मनिर्भर और सशक्त किसान अभियान के तहत निमिषा और उनकी टीम ने डेड बैटरी से भारत के पहले 100 प्रतिशत पर्यावरण के अनुकूल उर्वरक का आविष्कार भी किया है.
युवा सामाजिक कार्यकर्ता प्राची कौशिक ने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण की चुनौतियों का हल तलाशने के लिए साल 2017 में व्योमिनी संस्था की स्थापना की थी. व्योमिनी संस्था के माध्यम से वह स्वच्छ ऊर्जा, कृषि और पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में महिलाओं सशक्त बनाने का कार्य कर रही हैं. व्योमिनी का मूल ध्येय है कि यदि ग्रामीण क्षेत्र की उन महिलाओं को जिनके सामर्थ्य का इस्तेमाल नहीं किया गया है, यदि उनको प्रशिक्षित करके उनके कौशल को बढ़ाया जाए तो देश को सशक्त और समर्थ बनाने में अहम योगदान निभाया जा सकता है.
लखनऊ की शमीना बानो राइटवॉक फाउंडेशन की मदद से समाज के पिछड़े तबके खासकर महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य कर रही हैं. वह पब्लिक फंड्स (सार्वजनिक वित्त) को आसान तरीके से ऐसे लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य करती हैं, जिनके माध्यम से वे स्वयं को मजबूत कर समाज में स्थापित कर सकें. इनकी संस्था का सहारा पाकर कई लोगों के जीने की राह आसान हुई है.
लखनऊ की स्वाति पांडेय आर्बोरियल बायोइनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड संस्था के माध्यम से भारत को पोस्ट शुगर वर्ल्ड (मधुमेह मुक्त दुनिया) बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. उनकी टीम इसके लिए निरंतर प्रयास कर रही है. आर्बोरियल संस्था के माध्यम से एडवांस तकनीक की मदद से स्टेविया (एक विशेष प्रकार का पौधा जिससे मधुमेह की दवा बनती है) की आपूर्ति को सुनिश्चित करती है. इसके माध्यम से जागरूक उपभोक्ताओं को कैलोरी मुक्त चीजें मुहैया कराई जाती हैं. स्वाति पांडेय की टीम में फाइटोस्यूटिकल्स और प्राकृतिक अर्क में 200 से अधिक वर्षों के सामूहिक अनुभव वाले प्रोफेशनल्स (पेशेवर) लोग शामिल हैं. इनकी संस्था की मदद से अब तक कई लोगों को मधुमेह को मात देने में कामयाबी हासिल हुई है.