लखनऊ : वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये समाजवादी पार्टी (सपा) की सभी चूलें बैठाने की कोशिश के तहत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने मंत्रिमण्डल के सबसे बडे विस्तार में अच्छा काम करने वाले मंत्रियों को तरक्की रुपी इनाम दिया और सरकार में ‘युवा जोश’ भरने का प्रयास किया.विधानसभा चुनाव को अब महज 15-16 महीने रह गये हैं. अब देखना यह है कि नई ‘टीम अखिलेश’ सत्ता की पिच पर ‘स्लॉग ओवर्स’ में कैसी बल्लेबाजी करती है और इस चुनाव में विपक्ष के सामने कितना बडा लक्ष्य रखती है.
अपने पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी रहे कई मंत्रियों की गत गुरवार को मंत्रिमण्डल से छुट्टी करने के बाद अखिलेश ने अरविन्द सिंह गोप, नितिन अग्रवाल, यासिर शाह, राम सकल गुर्जर और शादाब फातिमा जैसे युवाओं को बडी जिम्मेदारी सौंपी है. इसमें अखिलेश की ‘युवा जोश’ की परिकल्पना झलकती है. पूर्व में राज्यमंत्री रहे गोप और शाह को अच्छे काम का इनाम मिला है.
पूर्व में सार्वजनिक मंचों पर कई बार कुछ मंत्रियों के निकम्मेपन को लेकर अपने पिता मुलायम की झिडकियां सुनने वाले अखिलेश ने इस बार नये और अपने विश्वासपात्र लोगों को तरजीह दी है.सियासी समीकरण साधने की कोशिश के लिहाज से देखें तो मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने साथ जोडे रखने के लिये इस वर्ग के छह सदस्यों को मंत्री बनाया है. हालांकि इस मंत्रिमण्डल विस्तार में सपा का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां का करीबी कोई भी विधायक शामिल नहीं है.
सिख समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिये पूर्व अकाली दल नेता बलवन्त सिंह रामूवालिया को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है. रामूवालिया राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.
इसके अलावा पूर्व में विवादों के कारण पार्टी आलाकमान की नजर से उतरे शैलेन्द्र सिंह ललई और पवन पाण्डेय को एक बार फिर मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा विवादों से घिरे होने के बावजूद विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह को राज्यमंत्री से प्रोन्नत करके काबीना मंत्री बना दिया गया है. हालांकि इस मंत्रिमण्डल विस्तार से पार्टी के एक वर्ग को निराशा भी हो सकती है. मंत्री पद के लिये पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं अशोक बाजपेयी और लीलावती कुशवाहा के नाम की भी चर्चा जोरों पर थी लेकिन वह मूर्तरुप नहीं ले सकी.