शाम ढलने तक काशी के बाबा के दर्शन को उमड़े 5.75 लाख श्रद्धालु, बमभोले के जयकारे से गूंज उठा वाराणसी
मंगला आरती के बाद तड़के चार बजे मंदिर के पट खुले तो आस्थावानों की भीड़ उमड़ पड़ी. विधि-विधान से जलाभिषेक कर भक्तों ने बाबा विश्वनाथ से अपनी अरज-गरज लगाई. सुख-समृद्धि की मंगलकामनाओं के साथ दर्शन-पूजन कर धन-धन्य हुए.
Varanasi News: देवो के देव महादेव की नगरी में सावन के दूसरे सोमवार पर बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं. मंगला आरती के बाद तड़के चार बजे मंदिर के पट खुले तो आस्थावानों की भीड़ उमड़ पड़ी. विधि-विधान से जलाभिषेक कर भक्तों ने बाबा विश्वनाथ से अपनी अरज-गरज लगाई. सुख-समृद्धि की मंगलकामनाओं के साथ दर्शन-पूजन कर धन-धन्य हुए.
शाम 6 बजे तक 5.75 लाख श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर चुके हैं. सावन में देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के दर पर सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ लगी है. हर ओर बोल बम, हर हर महादेव और जय विश्वनाथ की गूंज सुनाई दे रही है. महादेव के जयकारों के बीच काशी पूरी तरह से शिवभक्ति के रंग में रंगी नजर आ रही है.
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम भगवान विश्वेश्वर के नगरी काशी शिवभक्तों के हर-हर महादेव के नारों से गूंज रही है पुरी काशी में चारो ओर सिर्फ बोल बम-बोल बम के गगन भेदी स्वर गूंज रहे है. मंदिर को जाने वाले सारे रास्तो पर सिर्फ केसरिया ही केसरिया का नजारा दिख रहा है. हाथो में गंगा जल की लुटिया और पुष्प साथ प्रत्येक भक्त के मन में बाबा विश्वनाथ के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था का समन्दर यहां सभी कुछ विराज मान है इस वक्त शिव की नगरी काशी में मोक्षदायिनी काशी की आभा में सावन मास अलौकिक नगरी के रूप में परिवर्तित हो जाती है या यूं कहे शिव के पुण्य और प्रताप से सिर्फ शिवभक्तों का सैलाब ही काशी की परिणति हो जाती है. कहते हैं कि काशी के कण कण में शंकर विराजमान रहते हैं.
सावन के महीने में बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों को सिर्फ झांकी दर्शन ही दे रहे हैं. सावन के सभी सोमवार को संध्या श्रृंगार आरती में अलग अलग दर्शन करने का भक्तो को सौभाग्य मिलता है. आज सावन के दूसरे सोमवार को बाबा शिव-पार्वती रूप का श्रृंगार होगा. काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया है और बाबा दरबार की भव्य सजावट की गई है.
रिपोर्ट : विपिन सिंह