गृह सचिव के बयान पर बवाल : विपक्ष ने सरकार से मांगा इस्तीफा

लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगा राहत शिविरों में साजिश सम्बन्धी समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बयान पर बवाल के बाद अब गृह विभाग के प्रमुख सचिव का शिविरों में किसी भी बच्चे की ठंड से मौत नहीं होने सम्बन्धी बयान भी सरकार के लिये जी का जंजाल बन गया है. विपक्ष ने इसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2013 1:52 PM

लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगा राहत शिविरों में साजिश सम्बन्धी समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बयान पर बवाल के बाद अब गृह विभाग के प्रमुख सचिव का शिविरों में किसी भी बच्चे की ठंड से मौत नहीं होने सम्बन्धी बयान भी सरकार के लिये जी का जंजाल बन गया है. विपक्ष ने इसे संवेदनहीनता और कुतर्क की पराकाष्ठा करार देते हुए सरकार से इस्तीफे की मांग की है.

गृह विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार गुप्ता ने कल राहत शिविरों में बच्चों की मौत की जांच सम्बन्धी एक उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट की जानकारी देने के लिये बुलायी गयी प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि राहत शिविरों में ठंड से किसी की मौत नहीं हुई है. ठंड से कभी कोई नहीं मरता है. अगर ठंड से किसी की मौत होती तो दुनिया के सबसे ठंडे इलाके साइबेरिया में कोई जिंदा नहीं बचता. हालांकि उन्होंने माना था कि रिपोर्ट में निमोनिया के तीन-चार मामले बताये गये हैं.

इस बीच, मुलायम के बाद एक आला नौकरशाह के विवादास्पद बयान पर विपक्ष और हमलावर हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रान्तीय प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि दंगा राहत शिविरों में पीड़ित नहीं बल्कि षड्यंत्रकारियों के रहने के मुलायम के बयान के बाद अब उनकी सरकार के चाटुकार नौकरशाहों ने उस बयान को पुष्ट करने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि मुलायम को पता है कि मुजफ्फरनगर दंगों की जिस नाकामी का दाग उनके दामन पर लग गया है उसे वह साफ नहीं कर सकते, इसलिये उन्होंने जो पीड़ित हैं उन्हीं पर सवाल खड़े कर दिये. उसके बाद गृह विभाग के प्रमुख सचिव ने भी चुभता हुआ बयान दे दिया. इस सरकार को तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिये.

ज्ञातव्य है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने गत 23 दिसम्बर को लखनउ में कहा था कि राहत शिविरों में अब कोई पीड़ित नहीं बल्कि षड्यंत्रकारी रह रहे हैं. पाठक ने कहा कि पहले तो सरकार शिविरों में बच्चों की मौत को ही सिरे से नकार रही थी. उसकी पहली रिपोर्ट में मौत से इनकार किया गया था. उच्चतम न्यायालय द्वारा खिंचाई के बाद जो रिपोर्ट आयी उसमें बच्चों की मौत की बात कही गयी. सरकार यह बताए कि क्या वह पहले और बाद की रिपोर्ट में विरोधाभास की जांच करायेगी या नहीं.

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव के बयान को बेहद गैरजिम्मेदाराना और संवेदनहीन करार देते हुए सरकार से इस्तीफे की मांग की है.

उन्होंने कहा कि एक तरफ तो लोग अपने जान-माल और घर से महरुम होकर तम्बू में रह रहे हैं. उनके बच्चे प्रकृति की मार मर रहे हैं. सपा प्रमुख उनको षड्यंत्रकारी बताते हैं, वहीं उनके कारिंदे अधिकारी बताते हैं कि ठंड से नहीं मरे हैं.

सिंह ने कहा कि प्रमुख सचिव ने जिस तरह से अपने कुतर्क की मीमांसा की है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि कल वह यह भी कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति की मौत गोली लगने से नहीं हुई बल्कि खून ज्यादा बहने से मौत हो गयी. उन्होंने कहा कि इस संवेदनहीन सरकार का एक पल भी सत्ता में बने रहना समाज और प्रदेश के हित में नहीं है. या तो सरकार संवेदनहीनता को गम्भीरता से ले, वरना इस्तीफा दे दे.

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