Bareilly News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव 2024 में हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी है. केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का फोकस यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर है. क्योंकि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है. इसलिए भाजपा कोई भी मौका चूकना नहीं चाहती.
यूपी की 80 लोकसभा सीटों की काफी अहमियत है. इसलिए यूपी पर जोर भी पूरा लगा हुआ है. भाजपा ने यूपी के करीब 1.75 लाख बूथों के लिए खास प्लान तैयार किया है. मगर, इसमें सबसे अधिक फोकस 40 हजार बूथों को जीतने का है. क्योंकि, इन बूथ से भाजपा कैंडिडेट को कम वोट मिलते हैं. भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने का काम कर रही है.
विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने बूथ स्तर पर परिणामों की समीक्षा की थी. इसमें मालूम हुआ कि यूपी के करीब पौने दो लाख बूथों में से एक लाख बूथ ऐसे हैं, जिनपर भाजपा की अच्छी पकड़ है. मगर, 75 हजार बूथ पर स्थिति थोड़ी खराब है. इनमें भी 40 हजार बूथ अल्पसंख्यक बाहुल्य हैं. इसके अलावा 35 हजार बूथ ऐसे हैं, जहां अन्य पार्टियों के साथ भाजपा की टक्कर बराबरी की होती है, लेकिन भाजपा ने पहले इन 35 हजार बूथों को पूरी तरह से अपने पाले में करने की योजना बनाई है.
भाजपा ने 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद समीक्षा की थी. इसमें भाजपा को यादव, जाटव, मुस्लिम वोटर्स के बीच पकड़ बनाने की जरूरत है. इसके लिए भाजपा ने अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है.
2019 लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से भाजपा को 62 और सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी. 16 सीटों पर हार मिली थी. हालांकि इस साल जून में हुए उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीट भी बीजेपी के खाते में आ गई. अभी बसपा के पास 10, कांग्रेस के पास 1 और सपा के पास 3 सीटें हैं. मगर, अब भाजपा का प्लान उन सीटों को जीतने का है, जहां पर हार का सामन करना पड़ा था.
भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो 3 लेवल का प्लान तैयार किए गया है.इसमें पहला लेवल केंद्रीय नेतृत्व का, दूसरे लेवल में यूपी के नेता, तीसरे लेवल में अन्य प्रदेश के नेता होंगे. यह वह सीट हैं, जहां भाजपा को हार मिली थी.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली, मऊ (घोसी सीट), अंबेडकरनगर, श्रावस्ती,बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, मैनपुरी, संभल,पूर्वांचल की गाजीपुर, जौनपुर और लालगंज सीटों पर भी कमल खिलाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है.
भाजपा यादवों के साथ ही जाटवों को भी महत्व देगी. इसके पहले भी पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में गैर-जाटव अनुसूचित जातियों कोरी, धोबी, पासी, खटीक, धानुक आदि समाज के लोगों को जोड़ा था. इसलिए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा दिलाकर भाजपा ने उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किया. आगरा के जाटव समाज से आने वाली बेबी रानी को विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था. इसके बाद सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया. वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.
भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की दूसरी सरकार में बलिया के अति पिछड़े मुस्लिम परिवार से आने वाले दानिश आजाद अंसारी को मंत्रिमंडल में शामिल किया, और उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का राज्यमंत्री बनाया है. अंसारी को जब मंत्री पद दिया गया, तब वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य भी नहीं थे. उनको बाद में भाजपा ने विधान परिषद में भेजा. भाजपा भारतीय अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली हैं. इनके माध्यम से पसमांदा समाज को जोड़ने की कवायद चल रही है.
चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 49.6 प्रतिशत यानी 4 करोड़ 28 लाख 57 हजार 221 वोट मिले थे. बीएसपी को 19.26 प्रतिशत वोट यानी 1 करोड़ 66 लाख 58 हजार 917 वोट, सपा को 17.96 प्रतिशत वोट 1 करोड़ 55 लाख 33 हजार 620 वोट, आरएलडी को 1.67 प्रतिशत वोट यानी 14 लाख 47 हजार 363 वोट थे, तो वहीं कांग्रेस को 6.31 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 54 लाख 57 हजार 269 वोट हासिल हुए थे.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली