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यूपी में दयाशंकर और बिहार में मोहन भागवत के बयान की टाइमिंग एक जैसी, क्या इंपैक्ट भी एक होगा?

कल दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी, इस टिप्पणी ने उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति पर जो प्रभाव छोड़ा है, वह कई सवाल खड़े करता है. दयाशंकर सिंह का बयान उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जिसके कारण यह हजारों वोटर्स को प्रभावित करेगा. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2016 12:08 PM

कल दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी, इस टिप्पणी ने उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति पर जो प्रभाव छोड़ा है, वह कई सवाल खड़े करता है. दयाशंकर सिंह का बयान उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जिसके कारण यह हजारों वोटर्स को प्रभावित करेगा. इस बयान की टाइमिंग बिलकुल वैसी ही है, जैसी कि बिहार चुनाव के वक्त मोहन भागवत की आरक्षण से संबंधित टिप्पणी थी.

यूपी में दयाशंकर और बिहार में मोहन भागवत के बयान की टाइमिंग एक जैसी, क्या इंपैक्ट भी एक होगा? 2
दयाशंकर और मोहन भागवत के बयान में क्या है समानता?
यद्यपि उत्तर प्रदेश के दयाशंकर सिंह और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान में कोई समानता नहीं है. दोनों ही बयान बिलकुल अलग-अलग संदर्भ में दिये गये हैं लेकिन दोनों की टाइमिंग एक जैसी है. मोहन भागवत ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण को लेकर समीक्षा की बात कही थी, जिसके कारण बिहार में आरक्षण का फायदा ले रहा वर्ग नाराज हो गया था और चुनाव में इस वर्ग का वोट भाजपा के खाते में नहीं आया. हालांकि भाजपा ने ‘डैमेज कंट्रोल’ की बहुत कोशिश की, लेकिन डैमेज होने के बाद कंट्रोल कितना लाभकारी होता है, इससे हम सब वाकिफ हैं. राजनीति के जानकारों का मामना है कि भागवत के बयान से बिहार में भाजपा को खासा नुकसान उठाना पड़ा और भाजपा कुछ नहीं कर पायी.
विधानसभा चुनाव में वोटर्स होंगे प्रभावित
अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जहां दयाशंकर सिंह की दलित और महिला विरोधी टिप्पणी ने माहौल भाजपा के खिलाफ बना दिया है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा ने भले ही दयाशंकर सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, लेकिन उनके बयान से भाजपा को जो नुकसान होना था, वह हो चुका है. कल से ही भाजपा बचाव के मुद्रा में आ गयी है. मायावती का वोट बैंक आंदोलनरत है और भाजपा का दुर्भाग्य यह है कि वह बयान को जस्टिफाई नहीं कर सकती. भाजपा के समर्थक भी दयाशंकर सिंह से नाराज हैं, क्योंकि उनका बयान निम्नस्तरीय है. ऐसे में कहना ना होगा कि दयाशंकर सिंह का बयान आगामी विधानसभा चुनाव में वोटर्स पर खासा प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है.

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