लखनऊ : बसपा की मुखिया मायावती ने केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले पर आरोप लगाया है कि वे भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों खेलकर दलित समाज के हित को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
मायावती ने आज यहां जारी बयान में कहा ‘‘दलित मतदाताओं को बांटने और उन्हें अन्य दलों का पिछलग्गू बनाये रखने की नीयत से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में गुलाम मानसिकता के कुछ लोगों को मंत्री बना दिया है, जिनमें आरपीआइ के नेता रामदास अठावले भी शामिल हैं.’ अठावले ने टिप्पणी की थी कि यदि मायावती सच्ची अम्बेडकरवादी हैं तो वे अब तक हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार क्यों नहीं किया? इस पर बसपा मुखिया ने कहा कि उनका यह कथन जानकारी की कमी दर्शाता है और लोगों को भड़काने की कोशिश लगता है.
मायावती ने सविस्तार कारण बताते हुए कहा कि अम्बेडकर और बसपा संस्थापक कांशीराम द्वारा अपने जीवन के अन्तिम चरण में बौद्व धर्म स्वीकार किया गया था.
उन्होंने अठावले पर भाजपा के हाथों खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी हार की आशंका के चलते भाजपा धर्म की आड़ में राजनीति कर रही है और इसी नीयत से उसने हाल ही में ‘बौद्व धम्म यात्रा’शुरू की है.
मायावती ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और नरेन्द्र मोदी ने अपने राजनीतिक हित साधने की नीयत से ही बौद्व धर्म की सराहना शुरू की है. हालांकि वे बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को नहीं मानते और उन्हें मानने वालों पर अत्याचार करने वालों को ही संरक्षण देते हैं.
बसपा मुखिया ने कहा कि लोगों को ऐसी ताकतों से सावधान रहने की जरूरत है जो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दलित मतदाताओं में विभाजन की साजिश कर रहे हैं.
अठावले द्वारा गुजरात में गोरक्षा के नाम पर दलितों के उत्पीड़न की घटनाओं पर सवाल उठाने के प्रश्न पर मायावती ने कहा कि इसका जवाब तो उन्हें अपनी सरकार के नेता नरेन्द्र मोदी से ही मांगना चाहिए.