नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया है, जिसके बाद उत्तरप्रदेश के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी आवास खाली करना होगा, जो अभी तक सरकारी आवास की सुविधा का उपभोग कर रहे हैं. उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीवन भर सरकारी आवास के पात्र नहीं हैं. न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वर्ष 2004 की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसा कोई भी सरकारी आवास दो से तीन माह के भीतर खाली कर दिया जाना चाहिए.इस पीठ में न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी थे. पीठ ने कहा, ‘‘उन लोगों के पास जीवन भर के लिए सरकारी आवास को अपने पास रखे रहने का अधिकार नहीं है.’ यह फैसला उत्तरप्रदेश के गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी की ओर से दायर याचिका पर आया है. इस याचिका में सरकारी बंगले पूर्व मुख्यमंत्रियों को और अन्य ‘अयोग्य’ संगठनों को आवंटित किए जाने के खिलाफ निर्देश जारी करने की मांग की गयी थी.
इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को छोड़ना होगा आवास
मुलायम सिंह यादव : वे तीन बार क्रमशः 5 दिसंबर 1989 से 24 जनवरी 1991 , 5 दिसंबर 1993 से 3 जून 1996 और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. इन्हें दो महीने के अंदर अपना आवास खाली करना होगा.
मायावती : मायावती ने चार बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली लेकिन मात्र एक बार उन्हें पांच साल तक शासन चलाने का मौका मिला. वर्ष 2007 से 2012 तक उन्होंने पहली बार पांच साल तक शासन किया. इसके अतिरिक्त उन्होंने 3मई 2002 से 29 अगस्त 2003 , 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 और 3 जून 1995 से 18 अक्तूबर 1995 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था.
राम नरेश यादव : राम नरेश यादव जनता पार्टी के नेता थे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी. वे 23 जून 1977 से 28 फरवरी 1979 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
नारायण दत्त तिवारी : नारायण दत्त तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वे वर्ष 1976-1977,1984-1985 और 1988 -1989 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. लेकिन अपने जैविक पुत्र रोहित शेखर के कारण वे वर्ष 2008 से 2011 तक काफी चर्चा में रहे.
कल्याण सिंह : कल्याण सिंह भाजपा पार्टी के मुख्यमंत्री थे और दो बार इन्होंने प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभाला. इनके शासनकाल में ही अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था. विध्वंस के बाद इन्होंने इस्तीफा दे दिया था.इन्होंने 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 और फिर 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था.