लखनऊ : समाजवादी पार्टी को दो फाड़ होने से बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने कल शिवपाल सिंह यादव का समर्थन किया और अखिलेश यादव को फटकार लगायी. अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जिस कौमी एकता दल का सपा में विलय अखिलेश के विरोध के कारण नहीं हो पाया था, अब उसका विलय सपा सुप्रीमो ने तय कर दिया है. समाजवादी पार्टी प्रदेश में यादव और मुसलमान वोट के भरोसे राजनीति करती है. लेकिन इस बार 15 मुस्लिम पार्टियों ने एक फ्रंट बनाकर एक साथ आने का फैसला किया है.
ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश के मुसलमान इस फ्रंट के साथ चले गये, तो सपा को भारी नुकसान होगा. प्रदेश में 19 प्रतिशत मुसलमान वोटर हैं. मुसलमानों को अपने साथ लाने के लिए सपा ने कौमी एकता दल को साथ लाने का निर्णय कर लिया है.
शिवपाल ने कौमी एकता दल के विलय को अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन अखिलेश यादव के विरोध के कारण यह विलय संभव नहीं हो पाया, जिससे शिवपाल यादव नाराज चल रहे थे और परिवार में दूरियां बढ़ती जा रहीं थीं. शिवपाल जमीन से जुड़े नेता हैं और उनका प्रदेश में काफी प्रभाव है और अगर वे सपा से अलग होते हैं, तो अखिलेश सरकार मुसीबत में आ जायेगी.
उन्होंने इस अवसर पर मंत्रियों पर आरोप लगाया कि वे सुविधाखोर हो गये हैं, जिसके कारण तमाम तरह की गड़बड़ियां हो रहीं हैं.