स्वामी विवेकानंद के नाइन-इलेवन के संदेश को स्वीकार कर लिया जाता, तो नहीं होता 9/11 का हमला : राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अगर 1893 में स्वामी विवेकानंद के ‘नाइन-इलेवन’ के सहिष्णुता के संदेश को स्वीकार कर लिया जाता, तो शायद अमेरिका में 2001 में 9/11 हमला न हुआ होता.
President Ram Nath Kovind in Prayagraj: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद शनिवार को एक बार फिर उत्तर प्रदेश पहुंचे. यहां उन्होंने प्रयागराज में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (Uttar Pradesh National Law University) और अधिवक्ता मंडल (Advocates Chambers), इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की आधारशिला रखी. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद थीं. इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि विश्व-समुदाय ने वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद के ‘नाइन-इलेवन’ के सहिष्णुता के संदेश को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया होता तो शायद अमेरिका में वर्ष 2001 के ‘नाइन-इलेवन’ का मानवता-विरोधी भीषण अपराध न हुआ होता.
यदि विश्व-समुदाय ने वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद के ‘नाइन-इलेवन’ के सहिष्णुता के संदेश को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया होता तो शायद अमेरिका में वर्ष 2001 के ‘नाइन-इलेवन’ का मानवता-विरोधी भीषण अपराध न हुआ होता। pic.twitter.com/slhHx534tz
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सन 1921 में भारत की पहली महिला वकील सुश्री कोर्नीलिया सोराबजी को enroll करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था. वह महिला सशक्तीकरण की दिशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भविष्योन्मुखी निर्णय था. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार और बेंच के प्रबुद्ध सदस्यों ने समाज और देश को वैचारिक नेतृत्व प्रदान किया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार और बेंच के प्रबुद्ध सदस्यों ने समाज और देश को वैचारिक नेतृत्व प्रदान किया है। pic.twitter.com/W34DxnwyTB
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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, आज उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को मिलाकर महिला न्यायाधीशों की कुल संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है. यदि हमें अपने संविधान के समावेशी आदर्शों को प्राप्त करना है तो न्याय-पालिका में भी महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना ही होगा. उन्होंने कहा, सभी को समय से न्याय मिले, न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो, सामान्य आदमी की समझ में आने वाली भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो, और खासकर महिलाओं तथा कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में भी न्याय मिले, यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है.
आज उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को मिलाकर महिला न्यायाधीशों की कुल संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है। यदि हमें अपने संविधान के समावेशी आदर्शों को प्राप्त करना है तो न्याय-पालिका में भी महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना ही होगा। pic.twitter.com/TBvRIAoDqN
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राष्ट्रपति ने कहा, जन-साधारण में न्याय-पालिका के प्रति विश्वास और उत्साह को बढ़ाने के लिए लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी लाने से लेकर Subordinate Judiciary की दक्षता बढ़ाने तक कई पहलुओं पर अनवरत प्रयासरत रहना समय की मांग है. प्रयागराज की एक प्रमुख पहचान शिक्षा के केंद्र के रूप में रही है. मेरी शुभकामना है कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज, योजनानुसार स्थापित तथा विकसित हो तथा यहां के विद्यार्थी न्यायपूर्ण सामाजिक व आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं.
राष्ट्रपति ने कहा, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जजों की नियुक्ति के साथ एक नया इतिहास रचा गया था. शीर्ष अदालत में 33 न्यायाधीशों में से, चार महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति भारत में न्यायपालिका के इतिहास में सबसे अधिक है .
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के नींव समारोह में मौजूद थे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का 150 से अधिक वर्षों का इतिहास है. 1975 में, यह न्यायमूर्ति जे लाल सिंह थे, जिन्होंने पीएम इंदिरा गांधी को अयोग्य घोषित करने वाला निर्णय पारित किया, जिसने देश को हिलाकर रख दिया.
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उन्होंने कहा, आज मैं अपने ज्ञान के लिए एक शहर कुंभ शहर में आकर अभिभूत था. एक ऐसा शहर जिसमें महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ अब तक के सबसे शांतिपूर्ण युद्ध की घोषणा की.
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने कहा, हम भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए एक गंतव्य बनाना चाहते हैं. अपनी न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हमें आम आदमी को न्याय दिलाने का लक्ष्य रखना चाहिए. हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आम आदमी को समय पर न्याय कैसे मिलता है और आम आदमी और न्याय के बीच अंतर को कम करता है.
Posted by: Achyut Kumar