22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पीएचडी शोधार्थी का जेल में गुजरा 16 साल, मुआवजा दे यूपी सरकार : अदालत

नयी दिल्ली : बाराबंकी की एक अदालत ने उत्तरप्रदेश सरकार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शोधार्थी गुलजार अहमद वानी को मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिन्हें वर्ष 2000 के साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट मामले में 16 साल जेल में बिताने के बाद आरोपमुक्त कर दिया गया. अदालत ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को […]

नयी दिल्ली : बाराबंकी की एक अदालत ने उत्तरप्रदेश सरकार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शोधार्थी गुलजार अहमद वानी को मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिन्हें वर्ष 2000 के साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट मामले में 16 साल जेल में बिताने के बाद आरोपमुक्त कर दिया गया. अदालत ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को जेल में गुजरे वानी के वक्त के लिए उनकी शैक्षिक अर्हता के साथ औसत आमदनी को देखते हुए उन्हें मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कहा कि वह मामले में जांच कर रहे अधिकारियों की ‘‘लापरवाही’ का शिकार हुए.

वानी को 30 जुलाई, 2001 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. उस समय वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अरबी में पीएचडी कर रहे थे. अदालत ने जांच में उत्तरप्रदेश सरकार को उसके अधिकारियों की लापरवाही के कारण राज्य के खजाने को पहुंचे नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया. अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने आरोपित पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी नहीं ली और अपने कर्तव्य से हटते हुए एक आरोप पत्र दायर कर वानी की भौतिक आजादी का उल्लंघन किया और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाया.

अदालत ने वर्ष 2000 में साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट की कथित साजिश रचने के आरोपों से वानी और मोहम्मद अब्दुल मुबीन को आरोपमुक्त करते हुए यह फैसला सुनाया. विस्फोट में नौ लोगों की जान गयी थी और कई अन्य घायल हुए थे. अदालत ने कहा कि पुलिस ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया कि दोनों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ट्रेन में विस्फोट की साजिश रची और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमए खान ने हिंदी में अपने फैसले में कहा कि अगर सरकार को लगे तो वह संबंधित पुलिस अधिकारियों से मुआवजा राशि हासिल कर सकती है. अदालत ने कहा कि अगर सरकार मुआवजा नहीं देती है, तो वानी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने की आजादी होगी. वानी के खिलाफ कुल 11 मामले दर्ज करायेगये, जिनमें से 10 में उन्हें या तो आरोप मुक्त या बरी कर दिया गया. उच्चतम न्यायालय ने इस साल अप्रैल में वानी को जमानत देते हुए कहा था कि उन्हें 16 साल से ज्यादा समय जेल में रहना पड़ा और 11 मामलों में नौ में आरोपमुक्त हुए.

अदालत ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि फैसले की एक प्रति जिलाधिकारी, बाराबंकी और राज्य सरकार के गृह सचिव को भेजी जाये. विस्फोटक और दोषी ठहराये जानेवाले कथित साक्ष्यों के आधार पर 2001 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार वानी जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पीपरकारी इलाके के रहनेवाले हैं और लखनऊ में एक जेल में बंद हैं. स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर कानपुर के निकट इस ट्रेन में विस्फोट हुआ था, जो मुजफ्फरपुर से अहमदाबाद जा रही थी. घटना में नौ लोगों की मौत हो गयी थी और कई अन्य घायल हुए थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें