अलीगढ़ : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि छात्रावास में रहनेवाले गैर मुस्लिम छात्रों को रमजान के दौरान नाश्ता और खाना नहीं दिया जा रहा है. यह मामला उस समय सामने आया, जब भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता विनय वाष्णेय ने आरोप लगाया था कि एएमयू के हाॅस्टल में रहनेवाले हिंदू छात्रों को नाश्ता और खाना नहीं दिया जा रहा है और यूनिवर्सिटी प्रशासन उन्हें रमजान के महीने में जबरन भूखा रहने पर मजबूर कर रहा है.
यूनिवर्सिटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की है कि मंगलवार को इस मामले में मानव संसाधन मंत्रालय ने सफाई मांगी थी. इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि कुछ लोग जो रोजा नहीं रखते है, उन्हें रमजान की शुरुआत के कुछ दिनों थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन हर बार ऐसी व्यवस्था होती है कि हिंदू-मुस्लिम जो भी छात्र खाने की मांग करते है, उन्हें खाना उपलब्ध कराया जाता है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति के मीडिया सलाहकार ने जासिम मोहम्मद ने बताया कि मंगलवार को कुलपति को जैसे ही इस मामले की खबर लगी, उन्होंने तुरंत लिखित आदेश दिये कि जो छात्र रोजा नहीं रखते हैं, वह अपने हाॅस्टल के अधिकारियों को इस बात की सूचना दें, उन्हें खाना उपलब्ध कराया जायेगा.
जासिम मोहम्मद ने बताया क जबसे यूनिवर्सिटी स्थापित हुई, तबसे लगभग सभी हाॅस्टल के भोजन कक्ष दिन के समय बंद रहते है और जो लोग रोज नहीं रखते है, वह हाॅस्टल के अधिकारियों को इस बारे में सूचित करते है और उन्हें खाना उपलब्ध कराया जाता है.
इस बीच यूनिवर्सिटी के मास कम्यूनिकेशन के छात्र और प्रमुख युवा नेता ज्योति भाष्कर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह बड़े दुख की बात है कि इस मामले को धार्मिक रूप दिया जा रहा है. फरवरी में जब मैं व्रत रखता हूूं तो मेरी धार्मिक आस्था को देखते हुए हॉस्टल मेस की तरफ से मुझे केला और दूध उपलब्ध कराया जाता है.’ उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था है कि रमजान के महीने में हमें खाने के लिए लिख कर देना पड़ता है.