अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जन्म प्रमाण पत्र मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज
Abdullah Azam: सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम मामले में कहा कि सुनवाई की अनुमति मांगने वाला आवेदन खारिज किया जाता है. हमने पुनर्विचार याचिकाओं के साथ इसके समर्थन में जुड़े कागजातों को भी देखा है और रिकॉर्ड के सामने कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं पाई है. हमारी राय में पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है.
Lucknow: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट उनकी तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अपने आदेश में बदलाव करने का कोई नया आधार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अनुमति मांगने वाला आवेदन खारिज किया जाता है. वर्तमान पुनर्विचार याचिकाएं अंतिम निर्णय 07 नवंबर, 2022 के खिलाफ दायर की गई हैं. हमने पुनर्विचार याचिकाओं के साथ-साथ इसके समर्थन में जुड़े कागजातों का भी अवलोकन किया है और रिकॉर्ड के सामने कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं पाई है. हमारी राय में, पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है.
कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस न्यायालय द्वारा जो देखा गया है वह जिला रामपुर के 34, स्वार विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित उम्मीदवार मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान के चुनाव को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका के संदर्भ में है. चुनाव का परिणाम 11 मार्च, 2017 को घोषित किया गया था और एक ही विषय के संबंध में लंबित आपराधिक मामले, अगर कोई हो, तो उसके मैरिट के आधार पर निर्णय किया जा सकता है. इसके साथ ही पुनर्विचार याचिकाओं को पूर्वोक्त टिप्पणियों के साथ खारिज कर दिया जाता है.
अब्दुल्ला आजम ने चुनाव की तारीख पर न्यूनतम योग्यता आयु प्राप्त नहीं करने के लिए पूर्व विधायक की अयोग्यता को बरकरार रखने के अपने 7 नवंबर के फैसले की पुनर्विचार करने की मांग की थी. भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मुकदमे में अब्दुल्ला के अलावा उनके पिता आजम खां और मां डॉ. तजीन फात्मा भी नामजद हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की याचिका को खारिज कर दिया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. हाईकोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में अब्दुल्ला के विधायक के तौर पर चुनाव को रद्द करने के आदेश दिए थे.
अब्दुल्ला आजम ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रामपुर के स्वार निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. हालांकि, दिसंबर 2019 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने राज्य विधानमंडल की उनकी सदस्यता को इस आधार पर अमान्य कर दिया कि नामांकन दाखिल करने के समय नामांकन पेपर की जांच और परिणाम घोषित होने की तारीख पर उनकी आयु 25 वर्ष से कम थी. यह मानते हुए कि अब्दुल्ला आजम ने संविधान के अनुच्छेद 173 (बी) के अनुसार राज्य की विधायिका में सीट भरने के लिए चुने जाने के योग्य नहीं थे, जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी ने चुनाव याचिका की अनुमति दी.
खान, उनके पिता, आजम खान और उनकी मां, तजीन फातमा के साथ, फरवरी 2020 में उनके जन्म प्रमाण पत्र को कथित रूप से गढ़ने के आरोप में धोखाधड़ी सहित कई आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. उसी साल दिसंबर में फातमा को जमानत मिल गई. हालांकि, जनवरी 2022 तक खान को उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल से रिहा नहीं किया गया था. उनके पिता को 27 महीने की कैद के बाद मई में बाद में रिहा कर दिया गया था.