दिव्यांग प्रमाण पत्र के नाम पर अवैध वसूली का गोरखधंधा: CMO ने पकड़े दलाल, बाबू की सेवा समाप्ति के निर्देश

गोरखपुर के जिला अस्पताल में कई दिनों से चल रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर अवैध वसूली का मामला सामने आया है. अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे सीएमओ आशुतोष कुमार दुबे ने दलालों को मौके से पकड़ लिया. इसके साथ ही उन्होंने दलाली के मामले में लिप्त बाबू पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 22, 2022 3:23 PM

Gorakhpur News: गोरखपुर के जिला अस्पताल में कई दिनों से चल रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर अवैध वसूली के मामले का भंडाफोड़ हुआ है. यहां कर्मचारियों की मिलीभगत से दिव्यांग प्रमाण पत्र कार्यालय के बाहर बैठे दो दलाल प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर 10 से 12 हजार की वसूली कर रहे थे.इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी आशुतोष कुमार दुबे को लगी तो उन्होंने मौके पर पहुंच दलालों को पकड़ लिया.

दिव्यांगों से प्रमाण पत्र के नाम पर हजारों की वसूली

दरअसल, जिला अस्पताल के न्यू ओपीडी भवन में दिव्यांगों का प्रमाण पत्र बनाया जा रहा था. वहीं बाहर बैठे दो दलाल दिव्यांगों से प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भारी-भरकम धन की वसूली कर रहे थे. सूचना मिलने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दुबे सुरक्षाकर्मियों और सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने दोनों दलालों को पकड़ कर कोतवाली भेज दिया. इनमें एक आरोपी घाघसरा बाजार तो दूसरा परमेश्वरपुर का रहने वाला है. यह दलाल दिव्यांगों से प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर 10000 से लेकर 12000 तक की वसूली करते हैं.

बाबू दुर्गेश की मदद से चल रहा था वसूली का धंधा

पूछताछ में दलालों ने बताया कि, सीएमओ कार्यालय के बाबू दुर्गेश की मदद से वे प्रमाण पत्र बनवाने का काम करते हैं. दोनों दलाल भी दिव्यांग हैं. सीएमओ ने दुर्गेश गुप्ता को बुलाकर खरी-खरी सुनाई और सेवा से बाहर कर दिया. उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को निर्देश दिया कि दुर्गेश गुप्ता से काम न लिया जाए, इनको सेवा समाप्ति का नोटिस दे दिया जाए. नोटिस में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए कि वे दिव्यांगों से दलाली कर रहे थे और धन लेकर उनका प्रमाण पत्र बनवा रहे थे.

दिव्यांग प्रमाण पत्र में अंक का महत्व

बता दें दिव्यांग प्रमाण पत्र में जारी होने वाले अंक का विशेष महत्व होता है, जिसे 40 से 60 प्रतिशत अंक मिलते हैं. उसे सरकारी सुविधाएं कम मिलती हैं, वहीं जिसे 60 से 80 प्रतिशत अंक मिलते हैं उसे कई प्रकार की सरकारी सुविधा भी मिल जाती हैं.

दिव्यांगों की स्थिति के अनुसार मिलते हैं अंक

साथ ही समय-समय पर सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ भी दिव्यांगों को मिलता रहता है. सरकारी योजनाओं में दिव्यांगों को ट्राई साइकिल अन्य कई तरह के उपकरण दिए जाते हैं. हालांकि डॉक्टर दिव्यांगों की स्थिति देखकर उनके प्रमाण पत्र पर अंक जारी करते हैं.

रिपोर्ट- कुमार प्रदीप

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