Gorakhpur News: स्कूल बसों को लेकर इस समय जिला प्रशासन काफी सख्त नजर आ रहा है. गोरखपुर के एसपी यातायात एमपी सिंह ने सभी स्कूल के संचालक और प्रधानाचार्य को यातायात नियमों की जानकारी देते हुए सख्ती से पालन कराने के लिए कहा है. अब गोरखपुर में 5 साल पुराना ड्राइविंग लाइसेंस होने पर ही चालक स्कूल बस चला सकेंगे.
एसपी ट्रैफिक ने आरटीओ के साथ संयुक्त अभियान चलाकर शहर में लगभग 50 स्कूल बसों के कागजात के साथी बस चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की. जिन बसों में सुरक्षा को लेकर खामी मिली है, उसे जल्द से जल्द दुरुस्त कराने के लिए 7 दिन की मोहलत दी है.
स्कूल बसों की जांच के लिए गोरखपुर के एसपी ट्रैफिक एमपी सिंह ने 7 टीमें बनाई हैं. यह टीमें अलग-अलग जगहों पर बसों की चेकिंग करेंगी. एसपी ट्रैफिक एमपी सिंह ने आरटीओ अनीता सिंह के साथ गोरखपुर के मोहद्दीपुर पैडलेगंज छात्रसंघ चौराहे सहित और कई चौराहों पर स्कूल बसों की जांच की. इस दौरान उन्होंने बसों के अंदर और उसकी मानक स्थिति और सुरक्षा मानक स्थिति की भी जांच की. उसके बाद बस के ड्राइवर के ड्राइविंग लाइसेंस की भी जांच की, जिन बसों में खामियां पाई गई हैं, उनमें सुधार के लिए उन्होंने 7 दिन की मोहलत दी है.
स्कूल बसों के मानकों के बारे में जानकारी देते हुए एसपी ट्रैफिक और आरटीओ ने बताया कि स्कूल बस की आगे और पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए. स्कूल बस पर उसके ड्राइवर का नंबर भी लिखा होना चाहिए. स्कूल बस के अंदर फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए. बस में अग्निशमन यंत्र होना चाहिए. अगर किसी एजेंसी से बस अनुबंध है तो उस पर स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए. बस के अंदर क्षमता से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए. बस की खिड़की पर होरिजेंटल ग्रिल लगे होने चाहिए, दरवाजे को अंदर से बंद करने की व्यवस्था. बस के अंदर बच्चों पर नजर रखने के लिए शिक्षक शिक्षिका होनी चाहिए.
यह जानकारी देते हुए एसपी ट्रैफिक ने कहा कि सभी स्कूल संचालकों और प्रधानाचार्य को इस निर्देश की जानकारी पहले ही दे दी गई है. उन्हें एक सप्ताह का मुहूर्त दिया गया है. अगर उसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो यातायात पुलिस उनपर कार्रवाई करेगी.
रिपोर्ट- कुमार प्रदीप