Agra News: विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों को रखा ताक पर, ऑटो चालक को दी थी परीक्षा कॉपियों की जिम्मेदारी
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बीएएमएस विभाग की कॉपियां गायब होने में विश्वविद्यालय प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है. प्रशासन ने प्राइवेट तौर पर रखे गए एक व्यक्ति को बीएएमएस की कॉपियां बिना सोचे-समझे सौंप दी थीं.
Agra News: आगरा के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बीएएमएस विभाग की कॉपियां गायब होने में विश्वविद्यालय प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है. दरअसल, जो व्यक्ति ऑटो से परीक्षा की कॉपियां ले जाया करता था, वह प्राइवेट तौर पर विश्वविद्यालय द्वारा रखा गया है. जबकि विश्वविद्यालय में सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी हैं, फिर भी ऐसे गोपनीय काम के लिए एक प्राइवेट व्यक्ति पर विश्वविद्यालय ने भरोसा किया. और इसी की वजह से बीएएमएस की कॉपियां गायब हो गईं.
दरअसल, 27 अगस्त को कुलपति आगरा विवि को सूचना मिली कि विवि के ऑटो में ले जाई जा रही परीक्षा की कॉपियों को रास्ते में बदल दिया जाता है. जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय की टीम द्वारा गोपनीय जांच कराई और ऑटो का पीछा कराया. ऑटो चालक देवेंद्र जोकि संविदा पर रखा गया था वह सेंट जोंस से बीएएमएस की कॉपियां लेकर दूसरे कॉलेजों में जाने की बजाय मोती कटरा पहुंच गया.
ऑटो चालक को गिरफ्तार कर भेजा जेल
विश्वविद्यालय की टीम भी ऑटो चालक का पीछा कर रही थी. ऑटो चालक देवेंद्र मोती कटरा में कुछ लोगों से मिला जो मथुरा नंबर की गाड़ी में बैठकर आए थे. विश्वविद्यालय की टीम ने मौके पर ही ऑटो चालक को पकड़ लिया और घटना की सूचना पुलिस को दे दी. जिसके बाद पुलिस ने ऑटो चालक से काफी देर तक पूछताछ की. ऑटो चालक से पूछताछ में पता चला कि ऑटो में रखी गई परीक्षा कॉपियों के बंडल में से दो बंडल गायब हैं. जिसमें करीब 403 परीक्षार्थियों की कॉपियां थी. पुलिस ने ऑटो चालक को विश्वविद्यालय की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरविंद दीक्षित के समय में विश्वविद्यालय के बजट से कुछ ऑटो खरीदे गए थे. यह सभी ऑटो इसलिए खरीदे गए थे ताकि विश्वविद्यालय के जरूरी डाक्यूमेंट्स को इधर से उधर ले जाया जा सके. और इन्हीं ऑटो में से एक पर देवेंद्र को संविदा के तौर पर ड्राइवर रखा गया था.
वहीं आपको बता दें कि यह वही देवेंद्र है जिसे कुछ समय पहले मथुरा जिले के छाता क्षेत्र में फर्जी मार्कशीट के मामले में जेल भेजा गया था. विश्वविद्यालय को भी यह जानकारी थी कि देवेंद्र पहले से ही एक मामले में जेल जा चुका है और इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने देवेंद्र को ऐसे गोपनीय काम के लिए रख लिया.
विश्वविद्यालय से जुड़े सभी कॉलेज जिनमें बीएएमएस की परीक्षा चल रही थी, उनकी कॉपियों को ले जाने का काम ऑटो चालक देवेंद्र के हाथ में ही था. देवेंद्र को सभी कॉलेजों से परीक्षा कॉपियां लेकर एजेंसी में जमा करानी होती थी, लेकिन देवेंद्र एजेंसी ना जाकर बीच में ही ऑटो में रखी हुई गोपियों के बंडल बदल देता था. और जिन छात्रों को पास कराने की सेटिंग की जाती थी उनकी कॉपियों को बदलकर दूसरी कॉपियां रख दी जाती थीं.
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही और कॉपी बदलने वाले गैंग के साथ कर्मचारियों की संलिप्तता के चलते ही बीएएमएस की कॉपियां बदली गई हैं. अगर विश्वविद्यालय अपने सैकड़ों कर्मचारियों में से किसी एक को उस ऑटो और परीक्षा की कॉपियों की जिम्मेदारी देता तो शायद बीएएमएस परीक्षा की कॉपियां नहीं बदली जातीं.
हालांकि, इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसटीएफ को इसकी जांच सौंपी है. जिसके बाद से विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं. क्योंकि बीएमएस की कॉपियां गायब होना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही को भी दिखा रहा है. ऐसे में एसटीएफ उनसे भी पूछताछ कर सकती है और कई अधिकारी व कर्मचारियों की गर्दन इस जांच में फंस सकती है.
रिपोर्ट- राघवेन्द्र गहलोत