उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शुक्रवार को स्पेशल ट्रेन से राम नगरी अयोध्या पहुंचे. उनके साथ उनकी पत्नी एम ऊषा नायडू भी मौजूद रहीं. उपराष्ट्रपति का अयोध्या रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत हुआ. रामलला के दर्शन-पूजन करने के बाद उन्होंने कहा कि आज उनकी बरसों की इच्छा पूरी हो गई. इस दौरान यूपी के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या भी मौजूद रहे.
उपराष्ट्रपति ने रामलला के दर्शन करने के बाद सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने लिखा, ‘मेरी अयोध्या यात्रा और श्री रामजन्मभूमि के दिव्य दर्शन – आज मेरी वर्षों की प्रतीक्षा पूर्ण हुई. मुझे विश्वास है कि मेरी तरह देश के लाखों श्रद्धालु नागरिक भी भगवान श्री राम के भव्य मंदिर में दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इस तीर्थयात्रा ने, मुझे अपने संस्कारों, अपनी महान संस्कृति से जुड़ने का अवसर प्रदान किया. अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, यह प्रतीक है राम के आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का : एक लोक हितकारी न्यायपूर्ण शासन व्यवस्था जो सभी के लिए शांति, न्याय और समानता सुनिश्चित करती है.’
उन्होंने आगे भाव जाहिर करते हुए कहा, ‘राम भारतीय संस्कृति के प्रेरणा पुरुष हैं, वे भारतीयता के प्रतीक-पुरुष हैं. एक आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र- वे आदर्श पुरुष हैं. हम भारतीय जिन सात्विक मानवीय गुणों को सदियों से पूजते आए हैं, वे सभी राम के व्यक्तित्व में निहित हैं. इसी लिए महाविष्णु के अवतार श्री राम, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.’
उनके आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर लिखा गया, ‘रामायण का संदेश भागौलिक सीमाओं से परे, सार्वभौम और कालातीत है, उसकी प्रासंगिकता महज भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं है. इस कालजयी रचना के अनगिनत संस्करण दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार, लाओस में आज भी प्रचलित हैं. आज भी, भगवान राम और देवी सीता के चरित इन देशों की लोक परंपराओं का हिस्सा हैं. रामायण का संदेश सदैव हमारी आस्था का केंद्र रहा है, पीढ़ियों से ये हमारी चेतना का हिस्सा है, सदियों पुरानी हमारी सभ्यता की प्राणवायु है.’
पोस्ट में आगे लिखा गया है, ‘रामायण में वर्णित श्रीराम के जीवनचरित में सत्य, न्याय, करुणा, सौहार्द और सद्भावना जैसे दिव्य मानवीय गुण निहित हैं. महर्षि वाल्मिकी ने कहा भी है “रामो विग्रहम धर्म:”, राम धर्म का ही साक्षात स्वरूप हैं. पीढ़ियों से राम, भारतीय मूल्यों के पर्याय के रूप में वंदनीय हैं. इसीलिए महात्मा गांधी ने सुशासन और एक न्यायपूर्ण समाज के मानदंड के रूप में “रामराज्य” को ही स्वीकार किया.’
इसी क्रम में उन्होंने लिखा, ‘संस्कृत में अयोध्या का अर्थ है, जहां युद्ध न हो, जो अजेय हो. अयोध्या का गौरवशाली इतिहास कोई ढाई हजार वर्ष पुराना है. पुण्य सलिला सरयू के तट पर बसी यह नगरी प्राचीन कोसल की राजधानी थी. भगवान श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण, यह हिंदुओं की मोक्षदायनी सप्त पुरियों में सर्वप्रथम है जिसके बारे में तुलसी लिखा भी है.’
रामलला के दर्शन करने के बाद उन्होंने अपने भाव जाहिर किए, ‘भगवान श्री राम की नगरी से लौट कर, मेरा रोम रोम, राममय हो गया है. सिया राम का जीवन संदेश हम सभी के जीवन को आलोकित करता है. आइए, रामायण के सनातन सार्वभौम संदेश से अपने जीवन को सार्थक करें, इस संदेश का प्रसार करें.’
मंदिर के निर्माण कार्य का दौरा करने का भी उन्होंने जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है, ‘श्री राम के भव्य मंदिर के सुव्यवस्थित और सुनियोजित निर्माण के लिए, भारत सरकार द्वारा स्थापित श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट, हम सभी के कृतज्ञ अभिनंदन का पात्र है. मंदिर के आधार के लिए मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है जबकि मूल मंदिर के निर्माण में दक्षिण भारत से लाए गए ग्रेनाइट पत्थर और राजस्थान के प्रसिद्ध मकराना मार्बल का प्रयोग किया जा रहा है. मुझे यह भी बताया गया कि मंदिर की सुंदरता और मजबूती बढ़ाने के लिए, निर्माण में स्टोन इंटरलॉकिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. सीता कूप और कुबेर टीला जैसे प्राचीन इमारतों का मूल स्वरूप बनाए रखने के विशेष ध्यान दिया जा रहा है. विशेष सराहनीय है कि 70 एकड़ के इस परिसर में श्रद्धालुओं की सुगमता और सहायता के लिए केंद्र बनाया जा रहा है, संग्रहालय और शोध संस्थान स्थापित किया जा रहा है, गौशाला और योग केंद्र का भी प्रावधान है. आयताकार परिसर की चारदीवारी के चारों कोनों पर चार छोटे मंदिरों का निर्माण भी प्रस्तावित है.’