Agra News: डॉ. भीमराव आंबेडकर में प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक के समय में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था. जिसके मामले लगातार खुलते जा रहे हैं. प्रभारी कुलपति रहे प्रोफेसर विनय पाठक ने अपने समय में नियम विरुद्ध बीएचएमएस का पुनर्मूल्यांकन कराया था. जिसमें फर्जीवाड़ा करते हुए शत-प्रतिशत छात्रों को पास करा दिया. लेकिन वही मुख्य परीक्षा में उन छात्रों में से महज 22 फ़ीसदी छात्र पास हुए थे. और उनके फैसले को सही ठहराने के लिए बीएचएमएस के रिकॉर्ड से भी छेड़छाड़ की गई थी.
परीक्षा समिति के वरिष्ठ सदस्य ने इस घोटाले की शिकायत एसटीएफ से की है. जिसके बाद एसटीएफ इस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है. मिली जानकारी के अनुसार परीक्षा समिति के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर ने कुलपति और एसटीएफ को एक शिकायत की पत्र भेजा है. उनका कहना है कि बीएचएमएस की मुख्य परीक्षा में करीब 1400 छात्र शामिल हुए थे जिसमें 22 फ़ीसदी छात्रों के पास कर दिया गया और 78 पीस भी फेल हो गए.
होम्योपैथी के डीन के पत्र के आधार पर तत्कालीन कुलपति प्रो. विनय पाठक में डिजिटल पुनमूल्यांकन कराया था. जिसमें फेल हुए 78 फ़ीसदी छात्र भी पास हो गए और परिणाम 100 फ़ीसदी हो गया. बता दें विश्वविद्यालय में पुनर्मूल्यांकन का नियम है ही नहीं. संबंधित छात्र शुल्क देकर चुनौती मूल्यांकन करा सकता है. उसके निर्णय को सही साबित करने के लिए परीक्षा समिति की बैठक में प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा और परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओमप्रकाश के हस्ताक्षर के नीचे दर्ज निर्णय की तिथि को काटकर नई तिथि अंकित कर दी गई.
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रोफेसर विनय पाठक ने पुनर्मूल्यांकन के आदेश 22 जुलाई 2022 में दिए. और इसे 8 अगस्त को हुई परीक्षा समिति की बैठक में ना रखते हुए 19 नवंबर की बैठक में क्यों रखा. इस पर पुनर्मूल्यांकन के फैसले को समिति ने निरस्त कर दिया लेकिन रिजल्ट अभी भी बरकरार है.
प्रोफेसर प्रदीप सुधर का कहना है कि परीक्षा समिति ने पुनर्मूल्यांकन का निर्णय रद्द कर दिया तो उसका परिणाम क्यों निरस्त नहीं किया गया. इसके लिए एसटीएफ की जांच रिपोर्ट का इंतजार क्यों कर रहे हैं. बैठक की रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक की जाए जिसमें सच सामने आ जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी हो एसटीएफ और कुलपति उन सभी पर जल्द से जल्द कार्रवाई करें.