UP Zila Panchayat Adhyaksh Election 2021 उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP ) ने समाजवादी पार्टी (SP) के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए जबरदस्त जीत हासिल की है. यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले भाजपा को मिली इस रिकॉर्ड कामयाबी को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गरम है. दरअसल, इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका अखिलेश यादव की पार्टी सपा को लगा है. बता दें कि सपा को इस चुनाव में महज 6 सीटें मिली है. जबकि, भाजपा इस चुनाव में 75 में से 67 जिलों में जीत हासिल की है. इसी के मद्देनजर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ट्वीट कर समाजवादी पार्टी का नाम लिए बिना उसपर बड़ा हमला बोला है.
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के 19 प्रतिशत आबादी वाले मुसलामानों का एक भी जिला अध्यक्ष नहीं है. मंसूबा बंद तरीके से हमें सियासी, रोजगार और समाजिक तौर पर दूसरे दर्जे का शहरी बना दिया गया है. अपने एक अन्य ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की एक सियासी पार्टी खुद को भाजपा का सबसे प्रमुख विपक्षी दल बताती है. जिला पंचायत के चुनाव में उनके 800 सदस्यों ने जीत दर्ज की थी, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में मात्र 5 अध्यक्ष की सीटों पर उनकी जीत हुई है ऐसा क्यों? क्या बाकी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं?
असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले जिलों के नाम गिनाते हुए कहा कि अपने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं, फर्रूखाबाद, कासगंज, औरैया, जैसे जिलों में इस पार्टी के सबसे ज्यादा प्रत्याशी जीत कर आए थे, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव फिर भी हार गए, इन सारे जिलों में तो कई सालों से परिवार विशेष का दबदबा भी रहा है. इसके बाद ओवैसी ने एक तरह से खुद को ही समुदाय विशेष का रहनुमा बताते हुए कहा कि अब तो हमें एक नई सियासी तदबीर अपनाना ही होगा. जब तक हमारी आजाद सियासी आवाज नहीं होगी तब तक हमारे मसाइल हल नहीं होने वाले हैं. भाजपा से डरना नहीं है, बल्कि जम्हूरी तरीके से लड़ना है.