लखनऊ : हाथरस गैंगरेप मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पीड़िता परिवार से मिलने के लिए दिल्ली से निकलने के बाद अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सक्रियता बढ़ा दी है. उन्होंने हाथरस गैंगरेप की घटना को लेकर जनाक्रोश बढ़ने पर कुछ अधिकारियों को निलंबित किये जाने के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज किये जाने की शनिवार को मांग की.
सपा अध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जनता को तब संतोष होगा, जब सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से हाथरस घटना की निष्पक्ष कराई जाएगी. पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि हाथरस गैंगरेप मामले में भाजपा सरकार की लीपापोती की नीति के विरुद्ध प्रदेश में जनाक्रोश थम नहीं रहा है.
उन्होंने कहा कि इससे डरकर और अपना कृत्य छुपाने के लिए कुछ अधिकारियों को हटा जरूर दिया गया है, लेकिन न्याय की मांग है कि उन पर प्राथमिकी भी दर्ज हो, ताकि उनसे यह सच उगलवाया जा सके कि किस के दबाव में उन्होंने आतंक फैलाया? रात में परंपरा के विपरीत दलित युवती का शव क्यों जला दिया और पीड़िता के परिवार को बंधक बनाकर क्यों रखा? मीडिया व विपक्षी सांसदों तक से क्यों दुर्व्यवहार किया गया? उन्हें पीड़िता के परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया?’
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी रामशब्द और तीन अन्य पुलिकर्मियों को निलंबित कर दिया है. हाथरस में करीब पखवाड़े भर पहले चार लोगों ने 19 वर्षीय एक दलित लड़की से कथित तौर पर गैंगरेप किया था. पीड़िता की मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई. बुधवार तड़के उसके दाह-संस्कार कर दिया गया.
पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने जबरन पीड़िता के शव का दाह-संस्कार किया. सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि हाथरस पीड़िता के लिए लखनऊ के हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में गांधी जयंती पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना देने जा रहे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एवं विधायकों को गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही, सपा कार्यकर्ताओं पर बर्बरता से लाठीचार्ज कर राज्य की भाजपा सरकार ने सत्य की आवाज हिंसक तरीके से दबाने की कोशिश की.
उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं को गिरफ्तारी से पहले सड़क पर गिराकर घसीटा गया, उनके कपड़े फाड़े गए और अपमानित किया गया. यह कृत्य निन्दनीय है. महोबा-हाथरस की घटनाओं से लगता है कि प्रदेश में डीएम-एसपी (जिलाधिकारी-पुलिस अधीक्षक) के नए गैंग (गिरोह) को जन्म दे दिया गया है. अपराधी और पुलिस का भी गठबंधन होने लगा है. मुख्यमंत्री का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है.
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Posted By : Vishwat Sen