श्री सम्मेद शिखरजी मामले में अखिलेश-मायावती ने जैन समाज का किया समर्थन, कही ये बात…
जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर मामले में यूपी में भी सियासत तेज हो गई है. मुख्य विपक्षी दल सपा और बसपा ने इस मामले में जैन समाज का समर्थन किया है. अखिलेश ने कहा कि वह जैन समाज की न्यायपूर्ण मांग के साथ हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कहा कि लोगों का प्रदर्शन के लिए मजबूतर होना चिंतनीय है.
Lucknow: झारखंड में जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के मामले में विरोध तेज हो गया है. देश के दूसरे हिस्सों में भी सियासी दल इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस मामले में जैन समाज का समर्थन किया है.
तीर्थों की शुचिता की रक्षा करना सबका दायित्व
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट किया कि शाश्वत जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के विरोध में जैन मुनि सुज्ञेयसागर जी ने प्राण त्याग दिए. भावपूर्ण श्रद्धांजलि. उन्होंने कहा कि तीर्थों की शुचिता की रक्षा करना हम सबका दायित्व है. सरकार की हृदयहीनता से समस्त विश्व में भारत की पंथ निरपेक्ष छवि खंडित हुई है.
लोगों का प्रदर्शन के लिए मजबूतर होना चिंतनीय
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में अब जैन धर्म के लोगों को भी अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व पवित्रता के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलित होकर इंडिया गेट सहित सड़कों पर जबरदस्त तौर पर प्रदर्शन करना पड़ रहा है, यह अति-दुःख व चिंता की बात है.
पर्यटन विकास के नाम पर अंधाधुंध गतिविधियां
उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारें टूरिज्म के विकास आदि को बढ़ावा देने के नाम पर कमर्शियल दृष्टिकोण से जिन गतिविधियों को अंधाधुंध बढ़ावा दे रही हैं उससे श्रद्धालुओं में खुशी कम व असंतोष ज्यादा है. सरकारें धर्म की अध्यात्मिकता तथा धार्मिक स्थलों की पवित्रता बरकरार रखे तो बेहतर.
तीर्थ स्थान है श्री सम्मेद शिखरजी
झारखंड सरकार ने जैन दिगंबर श्वेतांबर समाज के पवित्र स्थल भगवान पारसनाथ पर्वत को पर्यटक स्थल घोषित किया है. इसे ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ तीर्थ स्थान भी कहा जाता है. कहा जा रहा है कि पर्यटक स्थल घोषित किए जाने के बाद यहां होटल भी खुलेंगे. इसी कारण से जैन समाज नाराज है.
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देश में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन
जैन समाज का मानना है कि इससे यह पवित्र तीर्थ स्थान दूषित होगा. यहां की पवित्रता भंग होगी. इसी कारण से लोग सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. इस घोषणा के बाद से ही जैन समुदाय में आक्रोश है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित देश भर में इस फैसले को लेकर लोग विरोध जता चुके हैं.