Lucknow: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर यूपी सरकार की प्रशासनिक और कानून व्यवस्था पर हमला बोला है. उन्होंने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. अराजकता, अव्यवस्था और असुरक्षा के चलते कानून व्यवस्था केवल कहने सुनने की बात रह गई है. भाजपा सरकार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कुछ और ही कामों में व्यस्त दिखाई देती है. जो काम सरकार के नहीं हैं. अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में पूर्णतया विफल सरकार प्रदेश पर भार की तरह है.
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में अब वही सुरक्षित है जिस पर सत्ता संरक्षित अपराधियों की निगाह नहीं पड़ी है. अब किसी को भी यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि उसे प्रशासन से सुरक्षा मिल सकती है, क्योंकि भाजपा राज में पुलिस जब अपनी ही पिस्टल और कारतूस की सुरक्षा नहीं कर सकती है तो वह जनता की सुरक्षा क्या करेगी? मैनपुरी के करहल में दारोगा जी सोते रह गए और उनकी तकिये के नीचे से चोर सरकारी पिस्टल, 10 कारतूस और पर्स चुरा ले गए.
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उन्होंने कहा कि आये दिन खब़रे मिलती हैं कि दबिश देने गए पुलिस कर्मियों की पिटाई हो गई और दबंगों ने पुलिस वालों की ही वर्दियां फाड़ दी. अपराधियों की हिम्मत यहां तक बढ़ गई है कि अब वे पुलिस वालों को अपनी गाड़ियों से कुचल दे रहे हैं. कानपुर में सिपाही की गर्दन रेत कर हत्या स्तब्ध करती है. अपनी रक्षा में विफल भाजपा सरकार में पुलिस वाले जनता का उत्पीड़न करने में जरा भी नहीं हिचकते हैं.
बदायूं में पुलिस के उत्पीड़न के चलते युवती ने फंदे से लटककर जान दे दी. लखनऊ के दुबग्गा थाने में इंस्पेक्टर व सिपाहियों पर महिला पुलिसकर्मी से ही छेड़छाड़ की घटना भी सामने आई है. अयोध्या के बीकापुर में 50 हजार रूपए न देने पर पुलिस ने पिता व बेटी की पिटाई कर दी. कन्नौज में सिपाही ने युवती को नशीला पदार्थ पिलाकर होटल ले जाकर दुष्कर्म की घटना शर्मनाक है.
उत्तर प्रदेश में ये कारनामें प्रशासनिक व्यवस्था पर गम्भीर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं. जब दाग खाकी पर लगेगा तो न्याय कहां मिल पाएगा? रक्षक ही जब भक्षक हो जाएगा तो नागरिक किसके पास जाकर अपने जानमाल की खैरियत मांगेगा? प्रदेश में कानून व्यवस्था को आदर्श बताने वालों के खोखले दावों की पोल रोज-ब-रोज खुलती रहती है.