अखिलेश यादव ने अग्निवीरों को जॉब में वरीयता देने पर कहा- पहले आज के सेवानिवृत्त सैनिकों को नौकरी दो
कई उद्योगपतियों ने कहा है जो भी अग्निवीर चार साल की नौकरी पूरी करने के बाद सेना से रिटायर होंगे, उन्हें वे अपने यहां नौकरी देने में प्राथमिकता देंगे. कारण, अग्निवीरों के लिए यही सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है कि वे सेना से मात्र चार की नौकरी के बाद ही जब रिटायर हो जाएंगे तो आगे क्या करेंगे?
Akhilesh Yadav Tweet: देश में सेना में भर्ती के नए नियम ‘अग्निपथ स्कीम’ को लेकर समर्थकों और विरोधियों के बीच तमाम तरीके के दावे किये जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरे दम से इस योजना का विरोध कर रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट करके सेना में भर्ती की इस योजना का समर्थन करने वालों के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला बयान जारी किया है.
उद्योगपतियों के ऐलान पर सवाल
दरअसल, अग्निपथ स्कीम के माध्यम से चयनित होने वाले जवानों को अग्निवीर का दर्जा देने का ऐलान किया गया है. मगर मुख्य विवाद यह है कि उन्हें यह सरकारी नौकरी मात्र 4 साल के लिए देने की घोषणा की गई है. इसे लेकर सभी अपने-अपने मत साझा कर रहे हैं. इस संबंध में बयान जारी करते हुए कई उद्योगपतियों ने कहा था कि जो भी अग्निवीर चार साल की नौकरी पूरी करने के बाद सेना से रिटायर होंगे, उन्हें वे अपने यहां नौकरी देने में प्राथमिकता देंगे. कारण, अग्निवीरों के लिए यही सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है कि वे सेना से मात्र चार की नौकरी के बाद ही जब रिटायर हो जाएंगे तो आगे क्या करेंगे? भविष्य में दोबारा बेरोजगार हो जाने के इसी डर का सामना करते हुए यह निर्णय लिया गया है. इसी वादे का जवाब देते हुए सपा सुप्रीमो ने मंगलवार को अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से एक ट्वीट किया है, जो अग्निवीरों को नौकरी देने में प्राथमिकता देने वाले उद्योगपतियों की मंशा पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 21, 2022
‘सत्यता और गंभीरता अभी साबित करें’
‘अग्निवीरों’ को भविष्य में अपनी कंपनियों व कार्यालयों में नौकरी देने का जो भावी वादा बड़े-बड़े लोग कर रहे हैं, उनके ‘उस वादे’ पर युवा भरोसा कर सकें, इसके लिए हम ऐसा वादा करने वालों का सहयोग करना चाहते हैं और उन्हें आज के सेवानिवृत्त सैनिकों को तुरंत अपनी कंपनियों व कार्यालयों में नौकरी देकर अपने वादे की सत्यता और गंभीरता अभी साबित करें, जिससे भावी अग्निवीर उन पर 4 साल बाद का भरोसा कर सकें. भरोसा ‘कथनी’ से नहीं ‘करनी’ से पैदा होता है.’