Prayagraj Kumbh Mela: यूपी सरकार (Yogi Adityanath government) 2019 में संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित भव्य कुंभ (Kumbh Mela 2019) को सबसे बड़ा और सफल आयोजन बताकर देश-दुनिया में अपनी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है. उसी कुंभ के आयोजन को लेकर तैयार किये गए इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भारत के महानियंत्रक महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India-CAG) की ओर से ऑडिट कराया गया. ऑडिट में कई तरह की अनियमितताएं और खामियां सामने आयी हैं.
वर्ष 2019 में यहां संपन्न हुए कुम्भ मेले ने भले ही देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, लेकिन इस मेले के आयोजन की लेखा परीक्षा में करोड़ों रुपये का अपव्यय सामने आया है जिसकी मुख्य वजह बेहतर योजना का अभाव रहा. बृहस्पतिवार को यहां पेश लेखा परीक्षा प्रतिवेदन के मुताबिक, नगर विकास विभाग ने कुम्भ मेला अधिकारी को 2,743.60 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था, जिसके मुकाबले जुलाई, 2019 तक 2,112 करोड़ रुपये खर्च किया गया.
विधानसभा के पटल पर 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष की यह ऑडिट रिपोर्ट रखी जा चुकी है. जहां से इसे विधानसभा की लोक लेखा समिति को भेज दिया गया है. परंपरा के मुताबिक इस ऑडिट रिपोर्ट के सदन के पटल पर रखने के बाद प्रधान महालेखाकार मीडिया को इस रिपोर्ट की जानकारी देते हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा, विभिन्न विभागों ने भी अपने बजट से कुम्भ मेले से संबंधित कार्यों, सामग्री खरीदने के लिए धन जारी किया था. हालांकि अन्य विभागों द्वारा निर्गत धन की जानकारी मेला अधिकारी ने उपलब्ध नहीं करायी, जिससे व्यय की समग्र स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका.
लेखा परीक्षा के अनुसार कुम्भ मेला के लिए उपकरणों की खरीद के लिए राज्य आपदा राहत कोष से गृह (पुलिस) विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आबंटन किया, जबकि राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग केवल चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, भूस्खलन आदि से पीड़ित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए होता है.
रिपोर्ट में वित्तीय स्वीकृति से अधिक या बगैर वित्तीय स्वीकृति के कार्य कराये जाने के मामले भी सामने आये हैं. नगर विकास विभाग ने मेला क्षेत्र में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग कार्यों के लिए 105 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी, जबकि मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये के कार्य कराये. इससे 38.13 करोड़ रुपये की देनदारियों का सृजन हुआ.
इसी तरह, लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड ने नगर विकास विभाग से वित्तीय स्वीकृति प्राप्त किये बगैर सड़कों की मरम्मत एवं सड़कों के किनारे पेड़ों पर चित्रकारी से संबंधित 1.69 करोड़ रुपये की लागत से छह कार्य कराये. इसमें से एक कार्य के लिए 52.86 लाख रुपये का भुगतान एक अन्य कार्य की बचत की धनराशि से किया गया, जो अनियमित था. लेखा परीक्षा जांच में पाया गया कि तीन कार्य उन निविदादाताओं को दिये गए, जो बोली लगाने की क्षमता के आधार पर निविदा के लिए पात्र नहीं थे.
वहीं क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अभिलेखों से मेसर्स स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित 32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के सत्यापन में पाया गया कि 32 में से चार ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे. लेखा परीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, फाइबर प्लास्टिक शौचालयों (सैप्टिक टैंक-सोकपिट) के लिए समिति द्वारा निर्धारित मानक कीमतें, फर्मों द्वारा इच्छा पत्र में डाली गई कीमतों से अधिक थीं और निविदा की दरें और भी अधिक थीं. (इनपुट:भाषा)