Lucknow News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कोर्ट की डिक्री के विपरीत, कानून हाथ में लेकर सिविल तथा आपराधिक केस में याची को फंसाकर परेशान करने वाले जिलाधिकारी गोरखपुर पर पांच लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही जिलाधिकारी की ओर से याची के खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि जिलाधिकारी गोरखपुर ने नियम, कानून का सम्मान न करते हुए याची की वैध जमीन हथियाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को जिलाधिकारी के आचरण की जांच कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने गोरखपुर, पार्क रोड स्थित बंगला नंबर पांच के मालिक कैलाश जायसवाल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
मामले में विवादित संपत्ति 24/25 सितंबर 1999 को जिलाधिकारी ने याची के नाम फ्री होल्ड की और उसके पक्ष में बैनामा कर दिया. बंगला ट्रेड टैक्स विभाग ने किराये पर लिया था. किराया जमा न करने पर याची ने बकाया वसूली वाद दायर किया.29 मार्च 2006 को सिविल वाद मंजूर हो गया और बंगला खाली करने का आदेश हुआ.
अदालत में एक माह में खाली करने की बात कही गई. लेकिन ऐसा नहीं होने पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई. कोर्ट ने जिलाधिकारी तथा एसएसपी को एक माह में पुलिस बल से बंगला खाली कराने का निर्देश दिया. इसके बाद याची को कब्जा मिला. 30 नवंबर 2010 को टैक्स एडवोकेट एसोसिएशन ने आपत्ति दाखिल की, जो खारिज हो गई. मामला सुप्रीम कोर्ट तक खारिज होता रहा.
इसके बाद याची ने नक्शा पास कराकर निर्माण शुरू किया. इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने हस्तक्षेप किया तो हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और सिटी मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया. इसके बाद जिलाधिकारी ने फ्री होल्ड डीड निरस्त करने का केस दायर किया. साथ ही गुंडा एक्ट के तहत आपराधिक केस दर्ज किया. कोर्ट ने चार्जशीट दायर होने तक याची को राहत दी. चार्जशीट दाखिल होने को भी चुनौती दी गई. याची को कोर्ट ने राहत दे दी.
इसके बाद 10 अप्रैल 2019 को कई पुलिस कर्मी वर्दी और सिविल ड्रेस में याची के घर आए और गालियां दीं. साथ ही एनकाउंटर में जान से मारने की धमकी दी. घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई. जिलाधिकारी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपनी कार्रवाई को सही ठहराया. राज्य सरकार ने जिलाधिकारी को फ्रीहोल्ड रद्द करने का केस वापस लेने का आदेश दिया. लेकिन, कोई असर नहीं हुआ.
कोर्ट ने कहा कि प्राइम लोकेशन की जमीन का वैध मालिक याची है. जमीन को हथियाने के लिए कोर्ट की डिक्री के बावजूद जिलाधिकारी ने सिविल तथा आपराधिक दोनों कार्रवाई कर याची को दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से परेशान किया. कानून का दुरुपयोग किया. ऐसे आचरण को उचित नहीं कहा जा सकता. ऐसी कार्रवाई कर जिलाधिकारी ने खुद को एक्सपोज कर दिया. कोर्ट ने जिलाधिकारी को पांच लाख हर्जाना विधिक सेवा समिति में जमा करने का निर्देश देते हुए उनके खिलाफ जांच कर विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है.