Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि न्यायिक अधिकारी/जिला जज बनने के लिए 7 साल की लगातार वकालत आवश्यक है. साथ ही आवेदन की तारीख तक वकालत करना जरूरी है. यह आदेश जस्टिस केजे ठाकर और जस्टिस अजय त्यागी की बेंच ने याची बिंदु की याचिका पर दिया. याची को यूपी हायर ज्यूडिशियल सर्विस के अंतिम परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग को ठुकरा दिया.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 233 (2) के तहत न्यायिक अधिकारी और जिला जज बनने के लिए 7 साल की लगातार वकालत की आवश्यकता है. साथ ही कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर मसुप्रीम कोर्ट के दीपक अग्रवाल केस में दिए गए निर्णय को आधार मानते हुए आदेश दिया. याची को यूपी हायर ज्यूडिशियल सर्विस के अंतिम परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग को ठुकरा दिया.
गौरतलब है कि याची बिंदु ने यूपी हायर ज्यूडिशियल सर्विस में जिला जज बनने के लिए आवेदन किया था, और प्रारम्भिक परीक्षा पास कर ली थी. साथ ही याची वर्तमान समय में लोक अभियोजन CBI के पद पर कार्यरत हैं. इससे पूर्व उसका अगस्त 2017 में ट्रेडमार्क एंड जीआई के परीक्षक के रूप में चयन हुआ था. जिसके बाद कोर्ट ने पाया कि याची एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत वकील नहीं रह गई थी और उसने अपना लाइसेंस भी सरेंडर कर दिया था.
रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी