UP: शिष्या के शोषण मामले में पूर्व मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को हाई कोर्ट से राहत, अग्रिम जमानत याचिका मंजूर…
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में दिसंबर 2022 में स्वामी चिन्मयानंद की अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी. आज कोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली है. इसके साथ ही अदालत ने याची पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को जांच में सहयोग का निर्देश दिया.
Prayagraj: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को शिष्या से दुष्कर्म और धमकाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. स्वामी चिन्मयानंद की अग्रिम जमानत याचिका की मंजूर कर ली गई है. स्वामी चिन्मयानंद ने खुद को निर्दोष बताते हुए अग्रिम जमानत की कोर्ट में मांग की थी. शाहजहांपुर कोतवाली में साल 2011 में स्वामी चिन्मयानंद समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था.
हाई कोर्ट ने इस मामले में बीते दिनों स्वामी चिन्मयानंद की अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी. कोर्ट ने आज स्वामी चिन्मयानंद को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली है. इसके साथ ही अदालत ने याची पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को विवेचना में सहयोग का भी निर्देश दिया है.
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ वर्ष 2011 में आश्रम की एक शिष्या को बंधक बनाकर दुराचार करने के आरोप में शाहजहांपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी. पुलिस ने इस मामले में धारा 376 व 506 के तहत एफआईआर दर्ज की थी. प्रदेश सरकार ने 9 मार्च, 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज दुराचार के केस को वापस लेने का फैसला लिया और कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
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निचली अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उच्च अदालत ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और मुकदमे की वापसी को गलत माना. उन्होंने चिन्मयानंद को 30 अक्टूबर, 2022 तक शाहजहांपुर कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा और निचली अदालत को ही चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर फैसला लेने का निर्देश दिया.
इसके बाद चिन्मयानंद ने जमानत के लिए शाहजहांपुर कोर्ट में अर्जी दाखिल थी. लेकिन, लोअर कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी. इसके बाद ही उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था. जिस पर कोर्ट ने दिसंबर 2022 में चिन्मयानंद की दुराचार मामले में अग्रिम जमानत मंजूर कर ली थी. कोर्ट ने इस मामले मे पीड़िता और राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया.