UP Big News: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 18 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने पर लगाई रोक

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और जेजे मुनीर की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया आर्टिकल 341 के तहत ही इस सूची में शामिल किया जा सकता है. 2016 में जो सरकारी आदेश निकाला गया था वह गलत था, अतः यह सरकार उस आदेश को वापस लेती है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 31, 2022 3:45 PM

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज डॉक्टर बी आर अंबेडकर ग्रंथालय एवं जन समिति द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 जातियों को अनुसूचित जाति के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया. अखिलेश यादव ने एक सरकारी आदेश जारी करके इन 18 जातियों को अपने पाले में करने का प्रयास किया था अब इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक घमासान फिर शुरू होगा.

एक गवर्नमेंट ऑर्डर से अनुसूचित जाति में किया शामिल

2016 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक गवर्नमेंट ऑर्डर के जरिए 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया था. इसके खिलाफ उक्त समिति जनहित याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आई. आज मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और जेजे मुनीर की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया आर्टिकल 341 के तहत ही इस सूची में शामिल किया जा सकता है. 2016 में जो सरकारी आदेश निकाला गया था वह गलत था, अतः यह सरकार उस आदेश को वापस लेती है. इस आदेश के तहत मल्लाह निषाद राजभर कुल 18 जातियों को पिछड़े से अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा.

अखिलेश यादव ने भी उठाया था कदम

20 और 16 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने इन जातियों को साधने के लिए काफी अरसे से चली आ रही मांग को देखते हुए एक सरकारी आदेश जारी किया था जिसके तहत 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया गया था. इन पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश में कई बार राजनीतिक समीकरण इधर से उधर भी हुए. इसी के तहत गोरखपुर के संजय निषाद जो निषाद पार्टी के अगवा है ने कभी भाजपा को डराया, धमकाया और कभी उनके साथ खड़े हुए. गत विधानसभा चुनाव में डॉक्टर संजय निषाद भाजपा के साथ राजनीतिक गठजोड़ करके सरकार में मंत्री बन गए. आने वाले समय में इस निर्णय का राजनैतिक प्रभाव देखने को मिलेगा क्योंकि जो लोग संजय निषाद का विरोध कर रहे हैं. इस मुद्दे को हवा देंगे.

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