नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से जुड़े घटनाक्रम पर ‘स्तब्ध’ है, जिन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अदालत में पेश नहीं होने पर फटकार लगायी थी. राज्य सरकार के वरिष्ठतम विधि अधिकारी महाधिवक्ता शीर्ष अदालत में पहुंचे और उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष हाजिर नहीं होने को लेकर माफी मांगी.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और एम एम शांतनागौदार की पीठ ने सिंह को फटकार लगाने के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक की अवधि बढ़ा दी और राज्य के मुख्य सचिव से कहा कि वह उच्च न्यायालय में पेश हों. पीठ ने सिंह को आत्म-मंथन की नसीहत देते हुए कहा, ‘हम पूरे घटनाक्रम पर स्तब्ध हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बहुत दुखद है.’
उच्च न्यायालय की ओर से पारित आदेश के अध्ययन के बाद पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह ‘व्यक्तित्व का टकराव’ था, जिससे संस्था की विश्वसनीयता को नुकसान होता है. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को इस अप्रिय स्थिति को और बढ़ाने से परहेज करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि मुख्य सचिव हलफनामा दाखिल करते रहेंगे और अदालतों में हाजिर होते रहेंगे तो शासन का काम कैसे होगा.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने महाधिवक्ता की तरफ से बिना शर्त माफी मांगी. उच्चतम न्यायालय बार असोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील आर एस सूरी अन्य वकीलों के साथ अदालत में मौजूद थे. उन्होंने पीठ से पूछा कि ऐसे हालात का क्या समाधान हो सकता है. न्यायालय ने कहा, ‘आप (सिंह) एक कदम पीछे हटें और आत्म-मंथन करें. इस मुद्दे पर और विचार-विमर्श की जरुरत है.’ पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि क्या इस मामले में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जा सकता है.
पीठ ने महाधिवक्ता से कहा, ‘समाधान क्या है? यह साफ-साफ शब्दों में होना चाहिए. हमें समाधान तलाशना है.’ सिंह ने कहा कि वह अदालत के हर निर्देश का पालन करने के लिए तैयार हैं. उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय से अपील की कि वह सिंह और मुख्य सचिव के खिलाफ 11 अगस्त तक कोई आदेश पारित नहीं करें. मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी. उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई, 31 जुलाई और एक अगस्त को अपने तीन आदेशों में महाधिवक्ता के व्यवहार पर नाखुशी जाहिर की, क्योंकि वह बार-बार बुलाये जाने पर भी अदालत में पेश नहीं हो रहे थे.