उत्तर प्रदेश में 10वीं की छात्रा बनीं थानेदार, कहा- आईपीएस बनना है मेरा सपना
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 10वीं कक्षा की छात्रा को इलाहाबाद मे थानेदार बनाया गया है. थानेदार बनने के बाद पुलिस कर्मियों ने छात्रा को सलामी भी दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहाबाद के टैगोर पब्लिक स्कूल की 10वीं की छात्रा सौम्या दूबे को 20 अगस्त, 2017 को एक दिन के लिए सिविल लाइंस पुलिस […]
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 10वीं कक्षा की छात्रा को इलाहाबाद मे थानेदार बनाया गया है. थानेदार बनने के बाद पुलिस कर्मियों ने छात्रा को सलामी भी दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहाबाद के टैगोर पब्लिक स्कूल की 10वीं की छात्रा सौम्या दूबे को 20 अगस्त, 2017 को एक दिन के लिए सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन का स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) नियुक्त किया गया. सौम्या ने पुलिस स्टेशन का चार्ज संभालने के बाद पुलिसिया कामकाज की जानकारी ली.
सौम्या को थानेदार का प्रभार दिये जाने के बाद पुलिस जीप में थाने लाया गया. थाना पहुंचने पर मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने सलामी देते हुए अपना परिचय दिया. थानेदार की कुर्सी संभालने के बाद सौम्या ने कहा कि मुझे गर्व महसूस हो रहा है. मेरा सपना आईपीएस बनने का है. मैं और मेहनत करूंगी और सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करूंगी. मुझे यहां पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिला. मैं पुलिस के कामकाज करने के तरीकों और परिस्थितियों से अवगत हो रही हूं. सिविल लाइन्स थाना क्षेत्र के दौरे पर निकलने के दौरान सौम्या की अगुवाई में सुभाष चौराहे पर बिना हेलमेट बाइक चलाने के लिए दो लोगों के चालान भी काटे गये और जुर्माना वसूला गया.
एएसपी वी जायसवाल के मुताबिक, कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत यह पहल की गयी है. सौम्या को किसी तरह के अधिकार नहीं दिये गये हैं. इसके बावजूद वह एक दिन के लिए थानेदार बन कर पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में बहुत कुछ सीख सकेगी. जैसे प्राथमिकी कैसे दर्ज की जाती है. पीसीआर कैसे काम करता है, आदि.
सौम्या को यह उपलब्धि एक निबंधन प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त करने पर मिला है. इलाहाबाद के एसएसपी की पहल पर पुलिस विभाग ने ऑडिटोरियम ऑफ रिजर्व पुलिस में ‘बिना पुलिस का समाज’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की थी. इस प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के शामिल 25 छात्रों में सौम्या को पहला स्थान हासिल करने पर सम्मानित भी किया गया. निबंध की जांच इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंगरेजी की प्रोफेसर जया कपूर ने की थी.